सल्तनत काल प्रान्तीय तथा स्थानीय शासन (Sultanate period provincial & local government)-शासन को सुचारु रूप से चलाने हेतु सुल्तानों ने भी अपने साम्राज्य को क्रमबद्ध इकाइयों में विभाजित किया.
- शासन सुविधा की दृष्टि में सल्तनत को अनेक प्रान्तों में विभक्त किया गया.
- प्रान्तों को ‘इक्ता‘ कहा जाता था.
- अवध, बिहार, बंगाल, बदायूँ, लाहौर आदि उस समय के प्रमुख प्रान्त थे.
- प्रान्तों का प्रशासन प्रान्तपतियों द्वारा चलाया जाता था जिनकी नियुक्ति सुल्तान स्वयं करता था.
- वह अपने प्रान्त में शान्ति तथा व्यवस्था बनाए रखने हेतु उत्तरदायी होता था तथा सुल्तान की तरह वह अपने प्रान्त में प्रमुख होता था.
- प्रान्तपति को मुफ्ती, नाजिम, नायब सुल्तान या नायब कहा जाता था.
कालान्तर में सल्तनत का बहुत विस्तार हो गया था. अतः शासन की सुविधा हेतु प्रान्तों को अनेक जिलों में विभक्त किया गया, जिन्हें ‘शिक’ कहा जाता था.
शिक
- ‘शिकदार’ शिक का प्रमुख होता था जो प्रायः एक सैनिक पदाधिकारी होता था.
- उसकी सहायता के लिए अनेक कर्मचारी होते थे.
- शासन की सुविधा हेतु शिक को अनेक परगनों में विभक्त किया गया.
परगना
- परगना का प्रमुख ‘आमिल’ होता था.
- अफीफ के अनुसार दोआब क्षेत्र में कुल मिलाकर 55 परगने थे.
- ‘आमिल’ के अतिरिक्त परगने में “मुशरिफ‘ नामक एक अन्य अधिकारी होता था जो लगान निश्चित करता था.
- एक परगने में अनेक गाँव होते थे.
गाँव
- गाँव शासन की सबसे छोटी इकाई थी.
- प्रत्येक गाँव में पंचायत द्वारा सभी विवादों का निपटारा किया जाता था.
- चौकीदार, पटवारी, खूत, चौधरी, मुकद्दम, आदि गाँव के अधिकारी होते थे.
- ग्राम-प्रशासन में सुल्तान हस्तक्षेप नहीं करता था.
सल्तनत काल प्रान्तीय तथा स्थानीय शासन (Sultanate period provincial & local government)
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