Friday, September 7, 2018

भूगोल का परिचय (Introduction to Geography)

भूगोल का परिचय (Introduction to Geography)भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है जिसका अध्ययन पृथ्वी की उत्पत्ति के साथ ही प्रारम्भ हो गया था. लेकिन इसकी परिभाषाओं में फेर-बदल होते रहे हैं.

भूगोल का परिचय (Introduction to Geography)

भूगोल का परिचय विद्वानो के अनुसार (Introduction to Geography)

  • प्रारम्भ में भूगोल का शाब्दिक अर्थ “गोल पृथ्वी” माना जाता था.
  • अंग्रेजी शब्द Geography दो यूनानी शब्दों (Geog+Graphy) से मिलकर बना है.
  • इसमें ‘Geog’ का अर्थ है पृथ्वी और “Graphy” का अर्थ है लिखना या वर्णन करना अर्थात् Geography शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ पृथ्वी का वर्णन .
  • पुराने काल में यूनान और रोम के अनेक विद्वानों ने महत्वपूर्ण भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत किए.
  • इरेटास्थनीज ने सबसे पहले ज्योग्रफ्रिका अर्थात् ‘भूगोल‘ शब्द का प्रयोग किया था.
  • इसी वजह से इरेटास्थनीज को  भूगोल का जन्मदाता माना जाता है.
  • विगत कुछ वर्षों में भूगोल का स्वरूप बदला है तथा इसकी विषय-वस्तु में विस्तार हुआ है.
  • स्ट्रेबो (Strabo) नामक भूगोलवेत्ता ने भूगोल को एक स्वतंत्र विषय माना था जिसका उद्देश्य लोगों को इस विश्व के स्थल, महासागर जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों तथा पृथ्वी के क्षेत्रों में देखी जाने वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त कराना था.
  • टॉल्मी के शब्दों में “भूगोल वह आभामय विज्ञान है जो पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता है.”
  • हिप्पोक्रेट्स ने मनुष्य पर पर्यावरण के प्रभाव का वर्णन किया था जबकि अरिस्टोटल ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “पालिटिक्स” में राज्य के गठन पर भौगोलिक कारकों के प्रभावों को स्पष्ट किया है.
  • इमेन्युअल काण्ट के अनुसार “भूगोल भूतल का अध्ययन है. यह भूतल के भिन्न-भिन्न भागों में पाई जाने वाली भिन्नता की पृष्ठभूमि में की गई व्याख्या है.”
  • जर्मन भूगोलवेत्ता ए.बी.हम्बोल्ट तथा कार्ल रिटर ने अपने रिवाजों और विधियों के द्वारा भूगोल के लिए पथ-प्रदर्शक का काम किया है.
  • हम्बोल्ट के अनुसार “भूगोल प्रकृति के अध्ययन से सम्बन्धित ज्ञान है.”
  • जबकि कार्ल रिटर के शब्दों में “भूगोल विज्ञान का वह भाग है जिसमें भूमण्डल के सभी लक्षणों, घटनाओं और उनके सम्बन्धों का, पृथ्वी को स्वतंत्र रूप से मानते हुए वर्णन किया जाता है.”
  • डाडले स्टाम्प ने भूगोल में पृथ्वी तल क्षेत्रों की भिन्नताओं और सम्बन्धों का वर्णन किया है.
  • एफ जे मॉक हाउस ने भूगोल विज्ञान में पृथ्वी पर प्राकृतिक तथा मानवीय तथ्यों के वितरण तथा मानव निवास के रूप में पृथ्वी की क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन किया था.
  • अमेरिकी विद्वान एकरमेन के अनुसार “भूगोल वह विज्ञान है जो पृश्वी के धरातल पर समस्त मानव जाति और उसके प्राकृतिक वातावरण के पारस्परिक क्रियाशील सम्बन्धों का अध्ययन करता है.
  • आधुनिक भूगोलवेत्ता पीटर गेट के अनुसार भूगोलवेत्ता का सम्बन्ध संरचना तथा पारस्परिक क्रियाओं से होता है जो पृथ्वी तल पर मानव वातावरण के परिस्थितिक तंत्र (Ecoiogical System) और प्रदेशों (Regions) के स्थानिक तंत्र (Spatial System) की संरचनाओं (Structures) का और पारस्परिक क्रियाओं (Interactions) का अध्ययन करता है.”

एक जर्मन भूगोलवेत्ता हैटनर के अनुसार भूगोल एक क्षेत्र वर्णनी विज्ञान (Chorological Science) है जिसके अन्दर पृथ्वी तल क्षेत्रों का अध्ययन, उनकी विभिन्नताओं तथा स्थानिक सम्बन्धों (Spatial Relations) की पृष्ठभूमि में किया जाता है.

  • आर्थर होम्स (Arthur Homes) के अनुसार “भूगोला में पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है जो मानव के रहने का स्थान है.”
  • ओ. एच.के. स्पेट (O.H K. Spat) के अनुसार “आधुनिक भूगोल मानव के भौतिक, प्राणि-जैविक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण की ओर हमारा ध्यानाकर्षण कराता है.
  • जर्मन भूगोलवेत्ताओं के अनुसार “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी के विभिन्न प्रदेशों (Landschaft) का अध्ययन करता है.”
  • इंग्लैण्ड के भूगोलवेत्ताओं के अनुसार भूगोल में भूमि (Land) तथा मानव (Man) की विभिन्न क्रियाओं और उनके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है.
  • रूसी भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल को पृथ्वी तल के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक और मानवीय तथ्यों की पारस्परिक क्रियाओं द्वारा निर्मित सम्मिश्र समाकल प्रदेशों (Complex Integral Regions) का अध्ययन बताया है.

निष्कर्ष के रूप में भूगोल का परिचय में (Introduction to Geography) यह कहा जा सकता है कि भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है और भूगोल वातावरण और पारिस्थितिकी का विज्ञान है जो प्रादेशिक विषमताओं के अध्ययन पर आधारित है एवं भूगोल में स्थानिक संगठनों की संरचनाओं और पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है.

भूगोल के नवीनतम् विकास का सम्बन्ध विषय के सामान्य दृष्टिकोण से अधिक उसकी तकनीक में है. सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग जिसमें गणितीय प्रक्रियाओं का उपयोग शमिल है, भूगोल में निरन्तर बढ़ता जा रहा है. इन तकनीकों को भूगोल में खुले दिल से स्वीकार किया गया है क्योंकि-

  1. इनसे भौतिक और मानवीय कारकों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ जानकारी मिलती है और
  2. बहुत से जटिल कारकों को आसानी से संक्षिप्त बनाया जा सकता है.

इस तरह विद्वानों ने प्राचीन काल से ही भूगोल को एक विषय के रूप में मान्यता दी है जिसके अन्दर अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, धरातलीय आकृतियों और इसके कारक जैसे-भूकम्प, ज्वार-भाटा,लहरें, नदी और हिम के कार्य का अध्ययन किया जाता है और अब तो मानव कल्याण के समस्त पहलुओं को भी भूगोल विषय के अन्दर शामिल कर लिया गया है.

 

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