अप्राकृतिक स्रोत (Artificial Sources) | पृथ्वी का आंतरिक भाग (Interior of the Earth)
घनत्व (Density) अप्राकृतिक स्रोत
- भू-वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी का ऊपरी भाग परतदार शैलों (Rocks) का बना है जिसकी औसत 8.45 किमी. तक पाई जाती है.
- इस परतदार सतह के नीचे पृथ्वी के चारों ओर रवेदार अथवा स्फटिकीय शैल (Crystalline Rocks) की एक दूसरी परत है.
- इसका और इसकी निचली परत का घनत्व् 9.75 से 2.90 तक होता है.
- इन सारी परतों को भूपर्पटी के नाम से जाना जाता है.
- इसके नीचे मैटल पाया जाता है जो सिलिकेट और मैग्नेशियम शैलों (silicate and magnesium rocks) से बना है. इसका घनत्व् 3. 10 से 5.00 तक है और
- इस परत के बाद धात्विक कोड या अन्तरतम (Core) मिलता है, जिसका घनत्व 5.10 से 13.00 तक पाया जाता है.
- सम्पूर्ण पृथ्वी का औसत घनत्व 5,5 है.
- 1950 के बाद स्पुतनिक (Satellite) आधार पर पृथ्वी के औसत घनत्व के परिकलने का सिलसिला शुरू हो गया है.
दाब (Pressure) अप्राकृतिक स्रोत
- शुरू में यह कल्पना की गयी थी कि ऊपर से नीचे की ओर जाने पर चट्टानों का भार तथा दबाव बढ़ता जाता है,
- इसलिए पृथ्वी के अन्तरतम का अधिक घनत्व बढ़ते हुए दबाव के कारण है, क्योंकि बढ़ते हुए दबाव के साथ चट्टान का घनत्व भी बढ़ जाता है. इसलिए पृथ्वी के अन्तरतम का अत्यधिक घनत्व् वहा पर स्थित अत्यधिक दबाव के कारण है.
- लेकिन आधुनिक प्रयोगों द्वारा यह साबित कर दिया गया है कि प्रत्येक शैल में एक ऐसी सीमा होती है जिसके आगे उसका घनत्व् अधिक नहीं हो सकता, चाहे उसका दबाव कितना भी अधिक क्यों न कर दिया जाए.
- इस बात से हमें यह संकेत मिलता है कि अन्तरतम् (Core) का घनत्व उन धातुओं की वजह से हैं जिन पदार्थों से इसका निर्माण हुआ है.
- ये धातुएं हैं निकल और लोहे का मिश्रण जो इसको चुम्बकीय शक्ति भी प्रदान करती।
तापमान (Temperature)
- सामान्यतः खानों और दूसरे स्रोतों से उपलब्ध विवरणों के आधार पर पृथ्वी की उपरी सतह से नीचे की ओर गहराई में जाने पर औसत रूप में तापमान प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर 1 डिग्री सेल्सियस, बढ़ जाता है.
- लेकिन आठ किमी. से अधिक गहराई पर जाने पर तापमान की वास्तविक वृद्धि दर का पता लगाना मुश्किल है.
- परीक्षणों के आधार पर महाद्वीपीय क्रस्ट में तापमान की वृद्धि दर की परिकलन भूताप ग्राफ (Geotherms graphs) के आधार पर किया गया है.
- आठ किमी. के बाद गहराई के साथ-साथ तापमान वृद्धि की दर भी घटती जाती है.
- यह हर गहराई पर एक सी नहीं रहती .
- धरातल से केन्द्र तक तापमान विभिन्न दरों से बढ़ता है.
तापमान की यह वृद्धि लगभग इस प्रकार हैं,
- धरातल से लगभग 100 किमी. की गहराई तक 12 डिग्री सेल्सियस प्रति किमी.,
- उसके नीचे 300 किमी. तक 2 डिग्री सेल्सियस प्रति किमी.
- और उसके नीचे 1 डिग्री सेल्सियस प्रति किमी.
- इस गणना के अनुसार घात्विकक्रोड का तापमान 2,000 डिग्री सेल्सियस है.
- इसके अलावा तापमान में और भिन्नता पाई जाती है.
- विवर्तनिक रूप से सक्रिय (Texstorical Active) क्षेत्र में 40 किमी. की गहराई पर 1000 डिग्री सेल्सियस तापमान गंभीर क्वस्ट और मैटल की शैलो खासकर बेसाल्ट तथा पेरिओटाइट के प्रारम्भिक गलनांक (Initial melting) के करीब है.
- इस प्रकार कस्ट के गर्म क्षेत्र में विवर्तनिक घटना और ज्वालामुखी क्रिया और गलनंक के करीब तापमान में गहरी सम्बन्ध स्थापित होता है.
- विवर्तनिक रूप से स्थिर (Tetonically Stable) प्रदेशों में 40 किमी. की गहराई पर तापमान 500 डिग्री सेल्सियस तक ही राहता है जो दीर्घकालीन भूगर्भिक स्थिरता से सम्बन्धित हैं.
पृथ्वी के अन्दर की गर्मी और उसके तापमान में वृद्धि के मुख्य कारण हैं आन्तरिक शक्तियों, जैसे-रासायनिक प्रतिक्रिया, रेडिओधर्मी पदार्थों का स्वतः विखंडन इत्यादि .
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