पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बधित सिद्धान्तों के साक्ष्य (Evidences from the theories of the origin of the Earth)-
- अलग-अलग विधानों ने पृथ्वी की उत्पत्ति की समस्या के हल होते हुए उसका मूल रूप ठोस, वायव्य और तरल भाग माना है.
- चैम्बरलीन की ग्रहाणु परिकल्पना (Planetesimal Hypothesis) के अनुसार पृथ्वी ठोस ग्रहाणुओ के एकत्रित होने से बनी है जिसका अन्तरम ठोस अवस्था में हैं.
- ज्वारीय परिकल्पना (Tidal Hypothesis) जो जेम्स जीन्स ने प्रतिपादित की थी और जेफरीज ने संशोधित की थी, के अनुसार पृथ्वी का निर्माण सूर्य से निस्तृत ज्वारीय पदार्थ से हुआ है और पृथ्वी का अन्तरतम तरल अवस्था में है.
- लाप्लास जो वायव्य नीहारिका परिकल्पना के प्रतिपादक है, के अनुसार पृथ्वी का अन्तरतम तरल है.
- नीहारिका परिकल्पना के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति गैस से बनी भीहारिका से मानी जाती है जो इस बात का प्रमाण है कि पृथ्वी के अन्तरतम को वायव्य अवस्था में होना चाहिए जबकि इसके प्रतिपादक इसे तरल मानते हैं.
- जोयपरिज और रिटर ने भी पृथ्वी के अन्तरतम को गैस का बना हुआ माना है.
- अतः दो ही मत पृथ्वी के अन्तरसम के बारे में सत्य के करीब हैं.
- जो ठोस अवस्था में या फिर द्रव अवस्था में माना जाता है.
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बधित सिद्धान्तों के साक्ष्य (Evidences from theories of the origin of the Earth)
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