भूगोल में विशिष्टिकरण (Specialization in Geography)–भूगोल की दो स्पष्ट शाखाएं हैं-भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल. उत्पत्ति के आधार पर किसी क्षेत्र के भौगोलिक तत्वों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, पहला प्राकृतिक या भौतिक तथा दूसरा मानवीय जो वस्तुतः मानव निर्मित या मानव द्वारा प्रभावित होता है.
- प्राकृतिक लक्षण वे हैं जो प्रकृति की सृष्टि हैं, जैसे-पर्वत, नदियां, प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जन्तु इत्यादि .
- मानवीय या मानवनिर्मित लक्षण वे हैं-जिन्हें मनुष्य ने अपनी आवास भूमि में सुरक्षित और सुविधापूर्वक रहने के लिए बनाया है.
- इस तरह भूगोल विषय की उत्पत्ति के समय से भूगोल का अध्ययन भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के रूप में किया जाता है.
भौतिक भूगोल (Physical Geography)
- भौतिक भूगोल, भूगोल की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है और इसका अध्ययन भूगोल के केन्द्र को प्रदर्शित करता है.
- पिछले कुछ दशकों में भौतिक भूगोल की परिभाषा, विषय-क्षेत्र, अध्ययन विधि और उद्देश्यों में अधिकाधिक शुद्धिकरण हुए हैं.
- शुरू में भीतिक पर्यावरण के क्रमबद्ध अध्ययन को ही भौतिक भूगोल समझा जाता रहा.
- दूसरे शब्दों में भौतिक पर्यावरण का अध्ययन ही भौतिक भूगोल है जो कि पृथ्वी के धरातलीय उच्चावचन (भू-आकृति विज्ञान), सागर तथा महासागरों (समुद्र विज्ञान) तथा वायु (जलवायु विज्ञान) के विवरणों का अध्ययन करता है.
भौतिक भूगोल सामान्य रूप में कई भू-विज्ञानों का अध्ययन और समन्वय है, जो कि मनुष्य के पर्यावरण पर सामान्य प्रकाश डालता है.
स्वयं में विज्ञान की स्पष्ट शाखा न होकर भौतिक भूगोल भू-विज्ञान के आधारभूत सिद्धान्तों का, जिनका चयन भूतल पर स्थानिक रूप में परिवर्तनशील पर्यावरण प्रभावों की व्याख्या के लिए किया जाता है, का समन्वय है.
भूगोल की एक प्रमुख शाखा के रूप में भौतिक भूगोल पर्यावरणीय तत्वों के स्थानिक प्रतिरूपों (Spatial Patterns) और स्थानिक सम्बन्धों (Spatial Relationships) का प्रादेशिक परिवेश में अध्ययन करता है और भूतल पर इन प्रतिरूपों के प्रादेशिक प्रारूपों के कारणों की व्याख्या भी करता है और साथ ही स्थान और समय तथा परिवेश (In Spatial and Temporal Contexts) में पर्यावरणीय तत्वों के परिवर्तनों की व्याख्या तथा उनके कारणों का अध्ययन करता है.
- इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भौतिक भूगोल के अध्ययन का मूल केन्द्र पृथ्वी पर स्थित जीवन-मण्डल है जो वायु, स्थल और जल का आवरण है जिसमें वनस्पति और प्राणी जगत का जीवन सम्भव हो पाता है.
- वर्तमान समय में भौतिक भूगोल के अध्ययन के अन्दर स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल तथा जीवमंडल के क्रमबद्ध अध्ययन तथा इनके मध्य पारस्परिक क्रियाओं और अन्तर सम्बन्धों के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है.
- भौतिक भूगोल के उपक्षेत्रों में निम्नलिखित विषयों का अध्ययन सम्मिलित है
भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology)
- भू-आकृति विज्ञान का तात्पर्य पृथ्वी के धरातल पर पाए जाने वाली स्थलाकृतियों के विज्ञान से है.
- इस विज्ञान के अध्ययन में भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल और जल विज्ञान का बहुत योगदान रहा है.
- इस विज्ञान के अन्दर अलग-अलग स्थलाकृतियों की उत्पत्ति उनकी उत्पत्ति में सहायक प्रक्रमों (Processes) और उनके विकास और विनाश का वस्तुपरक अध्ययन किया जाता है.
खगोलीय भूगोल (Astronomical Geography)
- सूर्य, चन्द्रमा और तारागणों का पृथ्वी से घनिष्ठ सम्बन्ध है.
- पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य से और चन्द्रमा की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है.
- सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी के सौर सम्बन्धों, गुरुत्वाकर्षण, सन्तुलन आदि का अध्ययन हम खगोलीय भूगोल में करते हैं.
मिश्रित भौतिक भूगोल (Complex Physical Geography)
- पृथ्वी पर नदी, पठार, पहाड़, पर्वत आदि भौतिक भू-दृश्यों की उत्पत्ति, भू-रासायनिक (Geo-chemical), विधियों, सामयिक आवर्तिता (Rhythm), प्रादेशिक विभिन्नताओं आदि का ज्ञान हमें मिश्रित भौतिक भूगोल में मिलता है.
जलवायु विज्ञान (Climatology)
- जलवायु विज्ञान, भौतिक भूगोल, विशेषतः मिश्रित भौतिक भूगोल की प्रमुख शाखा है.
- इसके द्वारा वायुमण्डल में होने वाले परिवर्तनों और उनके विषय में होने वाली खोजों के विषय में ज्ञान प्राप्त किया जाता है.
- इसमें वायुमण्डल में होने वाले परिवर्तन, मौसम, मेघ, वर्षा, वायुराशियों आदि का अध्ययन किया जाता है.
- इसके अलावा विश्व को प्रमुख जलवायु विभागों में बांटकर उनका विश्लेषण कर मानव पर उनके प्रभावों का उल्लेख किया जाता है.
जल विज्ञान (Hydrology)
- पृथ्वी पर जलमण्डल दो तिहाई भागों पर फैला है.
- यह विज्ञान भौतिक भूगोल का अच्छी तरह निखरता हुआ उपविषय है.
- इसके अन्दर प्रमुख जलराशियों, नदी, जलाशय, सागर, महासागर, अधोभौमिक जल की स्थिति, स्वरूप और उनमें होने वाली प्रमुख गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है.
समुद्र विज्ञान (Oceanography)
- इस विज्ञान के अन्दर महासागरों और सागरों की उत्पत्ति, तल, संरचना, तापमान, लवणीयता, सामुद्रिक निक्षेप, तरंग, जलधाराएं, ज्वार-भाटा और इनके द्वारा मानव पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है.
हिमनद विज्ञान (Glaciology)
- भौतिक भूगोल की इस उपशाखा के अन्तर्गत हिमनद की उत्पत्ति, आकार, स्वरूप, गति और हिमनद द्वारा अपरदन, निक्षेपण आदि कार्यों और उसके द्वारा निर्मित भू-आकृतियों का वर्णन और अध्ययन किया जाता है.
जैव भूगोल (Bio geography)
- इस उपविषय का विकास हाल ही के समय में हुआ है.
- इसके अन्दर पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं के आपसी सम्बन्धों के साथ-साथ इन पर भौगोलिक दशाओं जैसे धरातलीय और जलवायिक स्थितियों के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है.
- इसके अलावा इनके वितरण का क्रमबद्ध अध्ययन भी किया जाता है. वनस्पति और जीव-जन्तुओं के आधार पर इसे दो निम्नलिखित उपविभागों में विभाजित किया गया है
(1) वनस्पति भूगोल (Botanical Geography)
- इसके अन्तर्गत विश्व में वनस्पतियों की उत्पत्ति, विकास, वितरण और प्रकारों का अध्ययन किया जाता है.
- इस विषय में वातावरण और वनस्पतियों के पारस्परिक सम्बन्धों का उल्लेख तथा मानव पर उसके प्रभावों की व्याख्या की जाती है.
(2) जन्तु भूगोल (Z00-geography)
- भूगोल की इस शाखा के अन्तर्गत पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव-जन्तुओं की शारीरिक रचना, उत्पत्ति, विकास और वितरण का अध्ययन किया जाता है.
पर्वत विज्ञान (Orography)
- यह भूगोल का बहुत ही नवीनतम उपविषय है जिसके अन्दर पर्वतों की उत्पत्ति, संरचना, विकास और अलग-अलग तरह के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है.
पारिस्थितिकी (Ecology)
- यह उपविषय भूगोल को आधुनिक समय की देन है.
- इसके अन्दर जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है.
मृदा भूगोल (Pedology)
- मृदा विज्ञान में मृदा की उत्पत्ति, निर्माण, विकास, उसकी विशेषताओं एवं धरती पर उसके प्रादेशिक वितरण का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन किया जाता है.
वर्षण विज्ञान (Hyetology)
- इस उपविषय के अन्दर विभिन्न घटनाओं, जो वर्षण से सम्बन्ध रखती हैं, जैसे-वर्षा, फुहार, ओले आदि का का वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन किया जाता है.
घास विज्ञान (Agrostology)
- इस उपविषय के अन्दर घासों का भौगोलिक वातावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित करके धरातल पर वितरण का अध्ययन किया जाता है.
ज्वालामुखी विज्ञान (Volcanology)
- इस उपविषय के अन्तर्गत ज्वालामुखी की उत्पत्ति, प्रकृति, निस्सृत पदार्थों का वितरण तथा प्रभावों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है.
पादप भूगोल (Phytogeography)
- इस उपविषय के अन्दर पौधों के वितरण, उनके भौगोलिक वातावरण से सम्बन्ध और उनकी विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है .
सरोवर विज्ञान (Limonology)
- इस उपविषय के अन्दर ताजे पानी के स्रोत जैसे-झीलों और सरोवरों की उत्पत्ति से लेकर उनके अन्त तक को अध्ययन किया जाता है.
पुरा भूगोल (Palaeogeography)
- इस उपविषय के अन्दर समय के हिसाब से धरती पर हो रहे स्थल और जल परिवर्तनों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है.
आर्थिक भूगोल (Economic Geography)
- इस भूगोल के अन्र्तगत मानव द्वारा अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किये जाने वाले आर्थिक क्रियाकलापों जैसे–कृषि, खनन, उद्योग तथा व्यापार आदि का अध्ययन किया जाता है.
- इन सारे आर्थिक क्रियाकलापों पर स्थलाकृति, जलवायु, मिट्टी, वनस्पति आदि का प्रभाव पड़ता है.
- इन आर्थिक क्रियाकलापों का विश्लेषणात्मक और क्रमबद्ध अध्ययन जिसमें उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग शामिल है, आर्थिक भूगोल में आता है.
मानव भूगोल (Hurman Geography)
- मानव भूगोल, भूगोल विषय की दूसरी प्रमुख शाखा है.
- इसके अन्र्तगत भौगोलिक वातावरण तथा मानव के क्रियाकलापों के परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है.
- इसके अन्दर मानव की अपनी संख्या, विकास, वितरण, उसके आर्थिक क्रिया-कलाप, राजनैतिक संस्था आदि का अध्ययन किया जाता है.
- मानव भूगोल को निम्नलिखित उपविभागों में बांटा जा सकता है
सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography)
- मानव भूगोल के इस उपविषय में मानवीय समूहों के सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है.
- ये पहलू मानव का आवास, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, भाषा, धर्म, सामाजिक संस्थाएं और उनके दृष्टिकोण से सम्बन्धित हैं.
- सभ्यता के विकास के साथ-साथ इन पहलुओं के वितरण, प्रक्रिया और स्थान में हर दृष्टि से भिन्नता आई है.
जनसंख्या भूगोल (Population Geography)
- मानव भूगोल के इस विभाग का विषय मानव समूहों की दैनिक तथा सांस्कृतिक विशेषताएं हैं.
- मानव के समूहों की कुल जनसंख्या, जन्मदर एवं मृत्युदर, पोषक तत्वों का स्तर तथा साक्षरता आदि जनसंख्या भूगोल के मुख्य पहलू हैं.
- इनका अध्ययन स्थानीय वितरण के रूप में किया जाता है.
ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography)
- यह किसी भौगोलिक क्षेत्र के विकास की अवस्थाओं का वर्णन करता है.
- किसी भौगोलिक क्षेत्र के एक समय से दूसरे समय में होने वाले विकास का चित्रण ऐतिहासिक भूगोल का विषय है.
- यह हमें किसी प्रदेश का वर्तमान स्वरूप समझने में सहायता करता है.
राजनैतिक भूगोल (Political Geography)
- यह भूगोल मानवीय समूहों के राजनैतिक और प्रशासनिक निर्णयों और इनकी रुचियों का विश्लेषण करता है.
- दो देशों के मध्य सीमा विवाद, स्थानीय प्रशासन तथा प्रादेशिक नियोजन आदि इसके मुख्य विषय हैं.
कृषीय भूगोल (Agricultural Geography)
- मानव भूगोल की इस उपशाखा के अन्दर विभिन्न फसलों का उत्पादन और इनकी भौगोलिक दशाओं एवं इनके वितरण का सम्पूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है.
औद्योगिक भूगोल (Industrial Geography)
- इस मानव भूगोल की उपशाखा के अन्र्तगत कच्चे माल के स्रोत, उत्पादन की समस्याएं उत्पादित वस्तुओं के व्यापार, उद्योगों का वितरण आदि का अध्ययन किया जाता है.
परिवहन भूगोल (Transport Geography)
- इस उपशाखा के अन्र्तगत परिवहन के अलग-अलग साधनों और मार्गों पर भौगोलिक प्रभावों का अध्ययन किया जाता है.
- इसके अलावा कृषि वस्तुओं और कच्चे मालों के व्यापार और वितरण पर यातायात के साधनों के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाता है.
चिकित्सा भूगोल (Medical Geography)
- यह भूगोल का सबसे नया उपविषय है.
- इस उपविषय के अन्दर मानव जीवन पर पर्यावरण प्रदूषण और वायुमण्डलीय अशुद्धियों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है.
सामाजिक भूगोल (Social Geography)
- मानव भूगोल के इस उपविश्य के अन्तर्गत मानव की सामाजिक विशेषताओं, उसकी समस्याओं, क्रिया-कलापों आदि का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है.
मानचित्र कला (Cartography)
- यह सम्पूर्ण भूगोल विषय का आधार है.
- सम्पूर्ण भूगोल विषय का अध्ययन मानचित्र कला का उपयोग करके किया जाता है.
- अतः मानचित्रों के सहारे ही भूगोल का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन सम्भव है.
व्यावहारिक भूगोल (Behavioural Geography)
- यह भूगोल का बहुत ही आधुनिक उपविषय है. इस उपविषय के अन्दर मानव के व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है.
अधिवास भूगोल (Settlement-Geography)
- भूगोल की इस उपशाखा के अन्तर्गत नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के बसाव के अलग-अलग रूप जो भौगोलिक और मानवीय कारकों से प्रभावित होते हैं, का अध्ययन किया जाता है.
- इसके अलावा बस्तियों की उत्पत्ति, स्थिति, प्रतिरूप, विकास, व्यावसायिक संरचना आदि तथ्यों का भी अध्ययन किया जाता है.
अगर हम मानवीय पक्ष को लें तो आर्थिक भूगोल का कई क्षेत्रों में विशिष्टीकरण हुआ है. वाणिज्यिक भूगोल, आर्थिक भूगोल के विशिष्टीकरण क उदाहरण है.
भूगोल में विशिष्टिकरण भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल (Specialization in Geography)
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