द्रव्य व उसके गुण (Matter and Its Properties) भौतिक विज्ञान (Physics)
- द्रव्य क्या है? (What is Matter) ?
- द्रव्य का गतिज सिद्धान्त ( Kinetic theory of Matter )
द्रव्य के गुण (Properties of Matter)
- आयतन (Volume)
- घनत्व (Density)
- विसरण (Diffusion)
- वाष्पीकरण (Vapourisation)
- वाष्पीकरण की ऊष्मा (Heat of Vapourisation)
द्रव्य क्या है? (What is Matter)
“Matter has been defined as anything that has mass and occupies Space”
- ऐसी कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती है व जिसमें भार होता है, द्रव्य (Matter) कहलाती है.
- जैसे लकड़ी, लोहा, हवा, पानी, दूध आदि .
- ये वस्तु में स्थान घेरती हैं .
- इन में भार होता है अत: ये द्रव्य हैं .
डाल्टन ने अपने परमाणु-सिद्धान्त के अनुसार बताया कि द्रव्य छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है तथा इन्हें रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाला अविभाज्य कण बनाते हुए परमाणु (Atom) की संज्ञा दी.
ऐवेग्रादो ने परमाणु (Atom) तथा अणु (Molecule) का अन्तर करते हुए बताया कि एक या अधिक परमाणुओं से मिलकर बनने वाला अणु वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता है. तथा रासायनिक क्रिया में भाग नहीं लेता, जबकि परमाणु रासायनिक क्रिया में भाग लेता है तथा स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता है.
द्रव्य का गतिज सिद्धान्त ( Kinetic theory of Matter )
द्रव्यों के गतिक सिद्धान्त में निम्नलिखित धारणाएँ हैं. क्योंकि सभी धारणाएँ परमाणुओं तथा अणुओं से संबंधित है जो देखे नहीं जा सकते, इसलिए गतिक सिद्धान्त को गैसों का सूक्ष्मदर्शी माडल कहते हैं. फिर भी गणनायें तथा प्रागुक्तियां जो गतिक सिद्धान्त पर आधारित हैं, प्रयोगात्मक प्रेक्षणों से पूर्णतया मिलती हैं. जिससे इस माडल का सही होना स्थापित होता है.
- एक गैस में अनन्त संख्या में कण (परमाणु तथा अणु ) होते हैं . जो अत्यंत छोटे तथा एक दूसरे से पर्याप्त दूरी (औसत तौर पर) पर होते हैं जिससे अणुओं का वास्तविक आयतन उनके बीच के रिक्त रथान की तुलना में नगण्य होता है. यह कल्पना गैसों की अधिक संपीड़यता को सरलता से स्पष्ट करती है .
- कणों के बीच में कोई आकर्षण शक्ति नहीं होती है इसलिए कण स्वतंत्रता पूर्वक गति करते हैं . गैसों का फेल कर पूरे स्थान को ग्रहण कर लेने का प्रेक्षण इस धारणा की पुष्टि करता है .
- गैस के कण एक स्थान पर नहीं रहते, बल्कि लगातार गति करते रहते हैं. यदि का एक ही स्थान पर रहते तो गैस का निश्चित आकार होता जो हम नहीं पाते हैं .
- कण सीधी रेखा में यादृच्छिक गति करते हैं . एक दूसरे से संघट्ट तथा पात्र की दीवारों से संघट्ट कणों को घुमने की दिशा को परिवर्तित कर देते हैं. इन संघट्टों में यह मान लिया जाता है कि गतिज ऊर्जा में कोई परिणामी कमी नहीं होती यद्यपि संघट्ट करने वाले कणों में ऊर्जा का स्थानांतरण हो सकता है . (संघट्ट जिनमें कुल गतिज ऊर्जा स्थिर रहती है उन्हें प्रत्यास्थ संघट्ट (Elastic Collision) कहते हैं) यह कल्पना इसलिए की जाती है, क्यो कि यदि गतिज ऊर्जा में कमी होती है तो कणों की गति अन्त में रुक जायेगी. इससे गैस का निपात होगा, जो प्रेक्षित तथ्यों के विपरीत है.
- गैस का दाब कणों के पात्र की दीवारों से संघट्टता के कारण होता है.
- किसी विशेष समय पर, गैस के विभिन्न कणों की गति भिन्न-भिन्न होती है इसलिए इनकी गतिज ऊर्जा भी विभिन्न होती है. यह कल्पना तर्क संगत है क्यों कि कणों की संख्या अधिक होने से उनमें अधिक संघट्ट होगें . जब कण संघट्ट करते हैं तो उनकी गति में परिवर्तन होता है. यदि सब कणों की प्रारंभिक गति समान होती तो भी आण्विक संघट्टों से यह एक समानता समाप्त हो जाती है . परिणामस्वरूप भिन्न कणों की गति भिन्न होती है, यह लगातार परिवर्तित होती रहती है. फिर भी यह दिखाना संभव है कि यद्यपि अलग-अलग कणों की गति परिवर्तित होती रहती है, फिर भी एक विशेष ताप पर गति का वितरण नियत रहता है. इस वितरण को मैक्सवेल वोल्टजमेन वितरण कहते हैं . ऐसा उस वैज्ञानिक को सम्मान देने के लिए किया गया जिसने इसे सर्वप्रथम खोजा .
द्रव्य के गुण (Properties of Matter)
आयतन (Volume)
- द्रवों तथा ठोसो का, गैसों के विपरीत निश्चित आयतन होता है.
- पात्र का आकार तथा माप कुछ भी हो वे अपना आयतन निश्चित रखते हैं .
(The amount of space occupied by a body is called its volume).
घनत्व (Density)
- द्रव अवस्था में अणुओं का पास होना इस तथ्य का भी स्पष्टीकरण है कि द्रवों का घनत्व तुलनात्मक परिस्थितियों में गैसों के घनत्व से लगभग 1000 गुना अधिक होता है.
- उदाहरणार्थ 100°C ताप तथा 1atm. दाब पर पानी के घनत्व (0.958 g/cm) की तुलना जल वाष्प के इसी ताप तथा दाब पर घनत्व (0.000588 g/cm) से करते हैं .
विसरण (Diffusion)
- विसरण में अणु एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करते हैं .
- द्रव अवस्था में अणु पास वाले अणुओं से टक्कर करते हैं .
- गैसों में गति करने वाले अणुओं को कम बाधा पड़ती है .
- क्यों कि गति के लिए अधिक रिक्त स्थान उपलब्ध है.
- जब कुछ बूंदे स्याही की पानी में सावधानी से छोड़ी जाती हैं तो स्याही के धब्बों की पानी में स्पष्ट सीमा मिलती है. कुछ समय के पश्चात् रंग पूरे पानी में फैल जाता है. ऐसा होने में समय लगता है.
- जब ब्रोमीन की एक बूंद को एक पात्र के पेंदे में रखते हैं तो यह तुरन्त वाष्प में परिवर्तित होकर पूरे पात्र में फैल जाता है.
- गैसीय अवस्था में विसरण अत्यंत शीघ्र होता है.
वाष्पीकरण (Vapourisation)
- हम जानते हैं कि जब द्रव को खुले पात्र में रखते हैं तो यह धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है क्योंकि द्रव वाष्प में परिवर्तित हो जाता है.
- इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण (Vapourisation) कहते हैं .
- वाष्पन कैसे होता है? अणु द्रव् की सतह से निकलकर ऊपर के स्थान में चले जाते हैं .
- द्रव के अणुओं के बीच प्रबल आकर्षण बल होते हुए भी ऐसा होता है.
- यह समझने के लिए कि अणु कैसे द्रव में से निकल जाते हैं यह ध्यान रखना चाहिए कि द्रव में अणु लगातार गति में हैं तथा उनमें गतिज ऊर्जा होती है .
- यद्यपि द्रव का ताप एक समान है तथा अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा स्तिर है परन्तु सब अणुओं की गतिज ऊर्जा समान नहीं है.
- द्रवों में गैसो की भांति गतिज ऊर्जा का वितरण अत्यंत कम से अत्यंत अधिक मान तक होता है.
- इसके फलस्वरूप सतह पर अणुओं की गतिज ऊर्जा आकर्षण शक्ति से अधिक हो जाती है जिसे अणु द्रव की सतह से ऊपर निकल जाते हैं.
- यदि ताप को स्थिर रखा जाए तो बचे हुए द्रव में आण्विक ऊर्जाओं का वितरण वही रहेगा तथा अधिक ऊजात्मक अंश द्रव से निकल कर वाष्प अवस्था में जाता रहेगा.
- यदि द्रव खुले बर्तन में है तो वाष्पीकरण शीघ्र होगा.
- सतह से निकलने वाले अणुओं की संख्या अंतरा अणुक बल पर निर्भर करती है.
- जब ये शक्तियां प्रबल होती हैं तो कम अणु निकलते है.
- वाष्पित होने की प्रवृत्ति अथवा द्रव की वाष्पशीलता द्रव में अंतरआण्विक बल की प्रबलता को बताता हे .
वाष्पीकरण की ऊष्मा (Heat of Vapourisation)
- किसी द्रव को स्थिर ताप पर वाष्पीकरण के लिए ऊष्मा की जितनी मात्रा चाहिये उसे वाष्पीकरण की ऊष्मा अथवा वाष्पन ऊष्मा कहते है .
- द्रव में अणुओं के बीच आकर्षण बल की प्रबलता पर इस ऊष्मा की मात्रा निर्भर करती है.
- पानी की आपेक्षिक वाष्पन ऊष्मा अधिक होती है, क्योंकि इसमें प्रबल आकर्षण बल होता है.
- जब पानी के एक मोल को पूर्णतया 25°C पर वाष्पीकृत करते हैं तो यह 44,180 जूल (Joule) ऊर्जा अपने बाह्य माध्यम से शोषित करता है.
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