जहाँगीर | मिर्जा नूरुद्दीन बेग मुहम्मद खान सलीम (1605-27 ई.) Jahangir | Mirza Nur-ud-din Beig Mohammad Khan Salim
जहाँगीर (Jahangir) (1605-27 ई.)
- ‘मोहम्मद सलीम’ का जन्म 30 अगस्त, 1569 ई. को फतेहपुर सिकरी में ‘शेख सलीम चिश्ती’ की कुटिया में हुआ था.
- उसकी माता भारमल की पुत्री ‘मारियम उज्जमानी’ थी.
- अकबर उसे ‘शेखूबाबा’ कह कर पुकारता था.
- चार वर्ष की अवस्था में सलीम की शिक्षा का अच्छा प्रवन्ध किया गया.
- उसके शिक्षकों में प्रमुख अब्दुर्रहीम खानखाना था.
- 13 फरवरी, 1586 ई. में सलीम (जहाँगीर) का विवाह राजा भगवान दास की पुत्री मानबाई से हुआ.
- शाहजादा खुसरो मानबाई का ही पुत्र था.
- उसने राजा उदयसिंह की पुत्री जोधाबाई से भी विवाह किया.
- उसके रनवास में स्त्रियों की कुल संख्या 800 थी.
- अकबर की बहुत देखभाल के बावजूद भी सलीम ने तत्कालीन समाज में प्रचलित अनेक बुराइयों को ग्रहण कर लिया.
- वह मदिरा-पान का आदी हो गया था.
- 1600 ई. में जब अकबर दक्षिण में असीरगढ़ के किले को जीतने में व्यात था तो शाहजादा सलीम ने खुलेआम विद्रोह करके स्वयं को इलाहाबाद का सम्राट् घोषित कर दिया.
- 1602 ई. में सलीम ने वीर सिंह बुन्देला से अबुल फज़ल की हत्या करवा दी.
- किन्तु बाद में अकबर से उसने माफी मांग ली तथा उसे क्षमा कर दिया गया.
- 1604 ई. को शाहजादा दानियाल की मृत्यु हो गई, अतः सलीम अकबर का इकलौता जीवित पुत्र रह गया.
- 21 अक्टूबर, 1605 ई. को अकबर ने सलीम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया.
- अकबर की मृत्यु के पश्चात् आठवें दिन 3 नवम्बर, 1605 ई. को आगरे के किले में सलीम का राज्याभिषेक सम्पन्न हुआ.
- उसने ‘नूरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर बादशाह गाजी‘ की उपाधि धारण की.
आरम्भिक कार्य
- सलीम ने “जहाँगीर’ या ‘विश्वविजयी’ की उपाधि धारण की .
- उसने अनेक बन्दियों को मुक्त कर दिया तथा अपने नाम के सिक्के चलवाए.
- उसने अपनी नीति की घोषणा निम्नलिखित प्रमुख 12 नियमों में की–
- ‘तमगा’ तथा ‘मीर बाहरी’ कर समाप्त कर दिया गया.
- मदिरा तथा अन्य मादक पदार्थों को बनाना तथा बेचना अवैध घोषित किया गया.
- व्यापारियों की आज्ञा के बिना उनके सामान की तालाशी लेने की मनाही की गई.
- सरकारी कर्मचारियों के किसी के घर पर कब्जा करने के अधिकार पर प्रतिबन्ध .
- बिना शाही आज्ञा के कोई सरकारी कलैक्टर या जागीरदार अपने परगने की प्रजा की घरानों से विवाह सम्बन्ध स्थापित नहीं कर सकता.
- गरीबों के लिए सरकारी औषधालय खोले गए.
- अंग-भंग (नाक-कान काटना आदि) दण्ड समाप्त कर दिया गया.
- किसानों की भूमि पर जबरन अधिकार करने पर रोक लगाई गई.
- गुरुवार (जहाँगीर के राज्याभिषेक का दिन) तथा रविवार (अकबर के जन्मदिन) को पशु हत्या पर प्रतिबन्ध लगा दिया.
- किसी मृतक व्यक्ति का कोई उत्तराधिकारी न होने की अवस्था में उसकी सम्पत्ति को सार्वजनिक कार्यों में लगाने की घोषणा की गई.
- सड़कों के किनारे सराय, मस्जिद व कुओं आदि का निर्माण करवाया गया.
- उन कर्मचारियों को, जो अकबर के समय से कार्यरत थे, उनको पदों पर स्थाई कर दिया गया.
- जहाँगीर ने आगरे के किले की शाह बरजी के मध्य ‘न्याय की जंजीर’ (जो शुद्ध सोने की बनी थी तथा लगभग 30 गज लम्बी थी) और यमुना के किनारे एक पत्थर का स्तम्भ स्थापित करने की आज्ञा दी ताकि दुःखी जनता अपनी शिकायतों को सम्राट् के सम्मुख रख सके.
- ‘इन्तेखाब-ए-जहाँगीर शा’ में जहाँगीर के गुजरात के जैनियों के प्रति कठोर व्यवहार का वर्णन दिया गया है.
शाहजादा खुसरो का विद्रोह, (1606 ई.)
- जहाँगीर(Jahangir) के सम्राट् बनने के पाँच महीने पश्चात् ही उसके सबसे बड़े पुत्र खुसरो ने अपने मामा मानसिंह, एवं ससुर अजीज कोका की सलाह पर विद्रोह कर दिया.
- हुसैन बेग तथा लाहौर का दीवान अब्दुल रहीम भी उसके साथ हो लिए.
- शाहजादा खुसरो ने तरन तारन में सिक्खों के पांचवें गुरु अर्जुन देव का आशीर्वाद लिया तथा सहायता भी प्राप्त की.
- जहाँगीर की शाही सेनाओं ने जालन्धर के निकट भैरावाल में विद्रोहियों को पराजित किया.
- खुसरो पकड़ा गया.
- उसे बन्दी बना लिया गया.
- सिक्खों के गुरु अर्जुनदेव को भी तलवार से मौत के घाट उतारा गया.
- 1607 ई. में जहाँगीर को खुसरो की ओर से एक षड्यन्त्र की भनक पड़ गई और उसने शाहजादा खुसरो को अन्धा करवा दिया.
- 1620 ई. में उसे शहाजादा खुर्रम (शाहजहाँ) को सौंप दिया गया.
- शाहजादा खुर्रम ने अपने दक्षिण अभियान के समय 1621 ई. में खुसरो की हत्या करवा दी .
नूरजहाँ
- जहाँगीर(Jahangir) के इतिहास में नूरजहाँ की कथा को एक प्रमुख स्थान प्राप्त है.
- वह तेहरान के निवासी ग्यास- बेग की पुत्री थी.
- ग्यासबेग एक धनी व्यापारी ‘‘मलिक मसूद” की संरक्षता में भारत आया.
- कन्धार में उसके एक पुत्री उत्पन्न हुई.
- मलिक मसूद ने ग्यासबेग का परिचय अकबर से करवाया तथा वह कालान्तर में काबुल के दीवान के पद पर आसीन हुआ.
- उसकी पुत्री ‘मेहरुन्निसा‘ का विवाह 17 वर्ष की आयु में फारस के एक साहसी युवक अली कुलीबेग इस्तगलू से हुआ.
- उसे बंगाल की जागीर तथा ‘शेर अफगान’ की उपाधि दी गई.
- जहाँगीर को पता लगा कि शेर अफगन शाही आदेशों का उल्लंघन करता है तथा विद्रोही होता जा रहा है.
- बंगाल के नए राज्यपाल कुतुबुद्दीन को शेर अफगन के विरुद्ध भेजा गया, किन्तु वह मारा गया.
- शेर अफगन भी कुतुबुद्दीन के अंगरक्षकों के हाथों मारा गया.
- 1607 ई. में शेर अफगन की विधवा मेहरुन्निसा को आगरा ला कर सुल्ताना सलीमा बेगम की संरक्षता में रखा गया.
- 1611 ई. में जहाँगीर ने उससे विवाह कर लिया तथा उसे “नूर-महल’ की उपाधि दी.
- बाद में यह उपाधि “नूरजहाँ” अर्थात “संसार का प्रकाश” कर दी गई.
- नूरजहाँ का इतना प्रभाव था कि उसकी आज्ञा के विना शासन का कोई भी कार्य नहीं हो सकता था.
- उसका प्रभाव बढ़ता गया और शासन की वास्तविक शक्ति उसे हाथ में आ गई.
- अब उसी के नाम से सिक्के चलने लगे व शाही फरमानों पर उसी के हस्ताक्षर होने लगे.
- उसने एक कुशल प्रशासिका एवं महान् कूटनीतिज्ञ होने का परिचय दिया.
- कुशल शासिका होने के साथ वह उदार हृदय और दीन-दुखियों की सेवा करने वाली महिला थी.
- उसकी बुद्धि कुशाग्र, स्वभाव कोमल तथा ज्ञान गम्भीर था.
मेवाड़ का युद्ध
- 1597 ई. में राणा प्रताप की मृत्यु के पश्चात् राणा अमर सिंह उसका उत्तराधिकरी बना.
- जहाँगीर(Jahangir) ने अपने शासन काल में 1605 ई. में शाहजादा परवेज के अधीन मेवाड़ के विरुद्ध सेना भेजी.
- आसफ खाँ तथा जफर बेग भी शाहजादे के साथ थे.
- ‘वेवार के दर्रे ’ में राणा अमर सिंह तथा मुगल सेना के मध्य संघर्ष हुआ.
- किन्तु इसका कोई परिणाम नहीं निकला. 1608 ई. में महावत खाँ तथा 1609 ई. में अन्ला खाँ को अमरसिंह के ‘विरुद्ध’ भेजा गया, किन्तु उसने भी कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया.
- 1614 ई. में शाहजादा खुर्रम को अमरसिंह के विरुद्ध भेजा गया.
- घोर युद्ध के पश्चात् राजपूतों को सन्धि करनी पड़ी.
- अमरसिंह के साथ कृपापूर्ण व्यवहार किया गया.
- अकबर के समय से जीता हुआ सारा प्रदेश उसे लौटा दिया गया.
- उसे यह भी आश्वासन दिया गया कि उसे स्वयं दरबार में नहीं जाना पड़ेगा.
- अमरसिंह के पुत्र कर्णसिंह को पाँच हजारी मनसबदार बना दिया गया.
- कहा जाता है कि जहाँगीर ने अजमेर के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई अमरसिंह और कर्णसिंह की आदम-कद मूर्तियों को आगरा के शाही बाग में ठीक “झरोखे’ के नीचे स्थापित करवाया.
किश्तवार की विजय (1622 ई.)
- अकबर के समय किश्तवार पर अधिकार करने का प्रयत्न किया गया था, किन्तु वह असफल रहा.
- कश्मीर के राज्यपाल दिलावर खाँ ने 1620 ई. में किश्तवार के राजा को जहाँगीर के सामने पेश किया.
- राज्यपाल के अत्याचारों से तंग आकर जनता ने विद्रोह कर दिया.
- विद्रोह का दमन करने के लिए एक बड़ी सेना भेजी गई और 1622 ई. में यहाँ शान्ति स्थापित हो गई.
अहमदनगर से युद्ध (1610-20 ई.)
- अकबर ने अहमदनगर से निजामशाही वंश का अन्त कर दिया था.
- जहाँगीर(Jahangir) के समय मलिक अम्बर नामक अबीसीनिया निवासी ने इस वंश की पुनः स्थापना की.
- उसे उस युग के सर्वश्रेष्ठ सेनानायकों और शासकों में से एक माना जाता है.
- उसने मराठों को छापामार युद्ध का प्रशिक्षण दिया.
- मलिक अंबर ने शाहजादा खुसरों के विद्रोह का लाभ उठाकर अब्दुर्रहीम खानखाना की सेना पर आक्रमण करके 1610 ई. में अहमदनगर पुनः प्राप्त कर लिया.
- खानखाना को वापस बुलाकर खानेजहाँ को मलिक अम्बर के विरुद्ध भेजा गया.
- किन्तु वह भी असफल रहा. 16 16 ई. में गुजरात से शाही सेना खानेजहाँ के सहायोग हेतु भेजी गयी, किन्तु फिर भी कोई परिणाम नहीं निकला. 1616 ई. में शाहजादा खुर्रम को मलिक के साथ सन्धि करनी पड़ी.
- खुर्रम को सम्राट् ने शाहजहाँ’ की उपाधि दी तथा 30,000 जात और 20,000 सवारों का मनसब दिया.
- बहुत खुशियाँ मनाई गई, किन्तु वास्तव में न तो अहमदनगर को जीता गया और न मलिक अम्बर की शक्ति का दमन हुआ.
- 1629 ई. तक, जब तक मलिक अम्बर जीवित रहा,यही परिस्थिति बनी रही.
कन्धार का मामला
- कन्धार को अकबर ने मुगल साम्राज्य का अंग बनाया था.
- 1605 ई. में शाहजादा खुसरो के विद्रोह के समय फारस के शासक शाह अब्बास ने खुरासान के सरदार को कन्धार पर आक्रमण हेतु उकसाया.
- किन्तु उसका आक्रमण असफल रहा.
- शाह अब्बास ने जहाँगीर ने इस विषय में पूर्ण अनभिज्ञता प्रकट की.
- कालान्तर में शाह अब्बास ने जहाँगीर का ध्यान कन्धार की ओर से हटाने के लिए 1611 ई, 1615 ई., 1616 ई. तथा 1620 ई. में बहुत-सी भेट व खुशामदी पत्र देकर आगरा मुगल दरबार में भेजे.
- 1621 ई. में शाह अब्बास ने बड़ी सेना के साथ कन्धार पर चढ़ाई कर दी.
- जहाँगीर(Jahangir) ने शाहजहाँ (खुर्रम) को सेना का नेतृत्व करने हेतु कहा, किन्तु उसने सम्भवतः शासन में नूरजहाँ के प्रभाव के कारण सेना का नेतृत्व करने से इन्कार कर दिया और विद्रोह कर दिया.
- अतः शाह अब्बास ने आसानी से 45 दिन के घेरे के बाद कन्धार जीत लिया.
- जहाँगीर ने शाहजादा परवेज को कन्धार पर आक्रमण करने की आज्ञा दी, किन्तु आसफ खाँ के कहने पर आज्ञा रद्द कर दी गई. फलतः जहाँगीर के शासन काल में कन्धार जीता नहीं जा सका.
प्लेग की महामारी
- 1616 ई. में प्लेग की महामारी सरहिन्द, दोआबा और दिल्ली आदि स्थानों में फैली .
- जहाँगीर(Jahangir) ने स्वयं इस महामारी का उल्लेख किया है कि आठ वर्ष तक यह महामारी देश का नाश करती रही.
- सन् 1618-19 ई. में आगरा में प्लेग फैला और आस-पास के प्रदेशों में भी छा गया.
- इससे लगभग 100 आदमी रोज मर जाते थे.
- अमीर तथा गरीब सब ही इससे पीड़ित हुए.
- इतना सब होने पर भी राज्य की ओर से इसकी रोकथाम के लिए कुछ भी नहीं किया गया.
शाहजहाँ का विद्रोह, (1623-25)
- शाहजहाँ ने शाह अब्बास के विरुद्ध कन्धार जाने की अपेक्षा विद्रोह कर दिया.
- जहाँगीर तथा शाहजादा खुर्रम (शहजहाँ) के मध्य ‘बलोचपुर’ के स्थान पर युद्ध हुआ.
- शाहजहाँ पराजित होकर दक्षिण की ओर भागा.
- बुरहानपुर होता हुआ वह 1624 ई. में बंगाल पहुंचा.
- उसने मुगल अधिकारियों के सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के कारण बंगाल और बिहार पर अधिकार कर लिया.
- शाहजादा परवेज तथा महावत खाँ ने शाहजहाँ को पराजित किया तथा शाहजहाँ फिर दक्षिण की ओर भाग गया.
- 1625 ई. में शाहजहाँ व जहाँगीर में समझौता हो गया.
- शाहजहाँ ने रोहतास और असीरगढ़ समर्पण करना स्वीकार कर लिया तथा औरंगजेब और दारा शिकोह को जमानत के रूप में शाही दरबार में भेजा.
जहाँगीर की मृत्यु (1627 ई.)
- अत्यधिक शराब पीने से जहाँगीर अस्वस्थ था.
- वह स्वास्थ्य को कश्मीर और काबुल में रहकर सुधारने के प्रयत्न में था.
- जब वह कश्मीर से काबुल जा रहा था तो अत्यधिक सर्दी के कारण लाहौर की ओर लौट गया.
- किन्तु मार्ग में ही 7 नवम्बर, 1627 ई. को भीमवार नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई.
- उसके शव को “जहाँगीर के मकबरे” में शाहदरा (लाहौर) में दफनाया गया.
- जहाँगीर(Jahangir) के दरबार में विलियम हॉकिन्स (1608 ई.), विलियम फिंच, सर थॉमस रो (1615 ई.) एवं एडवर्ड टैरी जैसे यूरोपीय यात्री आये थे.
- जहाँगीर के पांच पुत्र थे-
- खुसरो,
- परवेज,
- खुर्रम(शहजहाँ),
- शहरयार तथा
- जहाँदार.
The post जहाँगीर | मिर्जा नूरुद्दीन बेग मुहम्मद खान सलीम (1605-27 ई.) Jahangir | Mohammad Salim appeared first on SRweb.
from SRweb https://ift.tt/2NFotr3
via IFTTT
No comments:
Post a Comment