सिन्ध का विलय (THE ANNEXATION OF SINDH)आधुनिक भारत (MODERN INDIA)
सिन्ध का विलय (THE ANNEXATION OF SINDH)
- 18वीं शताब्दी में सिंध पर कल्लौरा सरदार राज्य करते थे.
- 1783 में मीर फतह अली खां ने सिंध पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया.
- सन् 1800 में मीर फतह अली खां की मृत्यु के बाद उसके भाइयों (इन्हें प्रायः ‘चार यार‘ या ‘चार मित्र‘ का संबोधन दिया जाता था) ने सिंध को आपस में बांट लिया.
- अब ये सिंध के अमीर कहलाने लगे.
- अंग्रेजों ने 1809 में सिंध के अमीरों के साथ एक शाश्वत मित्रता की संधि की.
- इस संधि के द्वारा यह निश्चित किया गया कि फ्रांसीसियों को सिंध में बसने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
- 1832 में विलियम बैंटिंक ने कर्नल पोटिंगर के माध्यम से सिंध के अमीरों को अंग्रेजों के साथ एक नई व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया.
- इस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने सिंध में अनेक महत्वपूर्ण व्यापारिक सुविधाओं को प्राप्त किया.
- इस संधि के प्रावधानों के तहत कर्नल पोटिंगर को संधि में अंग्रेजों के राजनीतिक एजेण्ट के रूप में नियुक्त कर दिया गया.
- इसी समय महाराजा रणजीत सिंह सिंध पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था.
- इस आक्रमण से रक्षा के लिए कम्पनी ने सिंध के अमीरों को एक नई सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया.
- सिंध के अमीरों ने न चाहते हुए भी 1832 में अंग्रेजों के साथ एक संधि की.
- इस संधि के द्वारा सिंध में सहायक सेना तैनात कर दी गई.
- इसके अलावा सिंध के अमीरों ने अपने और सिखों के मध्य अपने संबंधों में कम्पनी की मध्यस्थता को भी स्वीकार किया.
- फरवरी, 1839 में सिंध के अमीरों और अंग्रेजों के मध्य एक नई संधि पर हस्ताक्षर हुए.
- इस संधि के अनुसार शिकारपुर और भक्कर के स्थानों पर सहायक सेना तैनात की गई.
- इसके बदले अमीर को तीन लाख रुपया वार्षिक कम्पनी को देने के लिए बाध्य किया गया.
- आंग्ल-अफगान युद्ध (1839-42) के समय भी सिंध के अमीरों को अंग्रेजी सेना की सहायता का भार उठाना पड़ा.
- 1842 में ऑकलैण्ड के स्थान पर लार्ड एलनबरो गवर्नर जनरल के रूप में भारत आया.
- उसने मेजर आउट्रम के स्थान पर चार्ल्स नेपियर को सिंध में कम्पनी का रेजीडेन्ट नियुक्त किया.
- उसे पूर्ण सैनिक और असैनिक अधिकार दिए गए.
- उत्तरी और दक्षिणी सिंध की सेना भी उसके अधीन कर दी गई.
- लार्ड एलनबरो ने सिंध के अमीरों को एक नई संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया.
- इस संधि में भविष्य के लिए अधिक प्रतिभूति (Security) और कुछ प्रदेशों की मांग की गई.
- इसी समय सिंध में उत्तराधिकार का संघर्ष प्रारंभ हो गया.
- अंग्रेजों ने पुराने सरदार मीर फतह अली खां के भाई अलीमुराद का समर्थन किया न कि मीर फतह अली खां के पुत्रों का.
- यह संघर्ष शीघ्र ही आंग्ल-सिंध युद्ध में तब्दील हो गया.
- अगस्त, 1843 तक सिंध के समस्त भू-भाग को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया गया.
- सिंध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने के लिए अंग्रेजों द्वारा प्रयोग किए गए साधनों की इतिहासकारों ने कटु आलोचना की है.
- वास्तव में सिंध के माध्यम से अंग्रेज अफगानिस्तान पर कब्जा करना चाहते थे.
- जिससे भारत को रूसी प्रभाव से बचाया जा सके.
- इसके अलावा सिंध की मरुभूमि का अपार सामरिक महत्व था.
- रूस और ईरान की भारत पर सम्भावित आक्रमण कार्यवाहियों के विरुद्ध सिंध को एक आधार के रूप में प्रयोग किया गया.
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