विलियम केवेंडिश बेंटिक, 1828-1835 (William Cavendish Bentinck in Hindi, 1828-1835)
विलियम बेंटिक (William Cavendish Bentinck in Hindi)
- विलियम बेंटिक ने जुलाई, 1828 में लार्ड एमहर्ट के उत्तराधिकारी के रूप में भारत के गवर्नर जनरल का पदभार संभाला.
- विलियम बेंटिक एक उदारवादी राजनेता था.
- विलियम बेंटिक भारत में उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ जिनसे ब्रिटेन में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था.
- भारतीय समाज और व्यवस्था में बेंटिकने निम्नलिखित प्रमुख सुधार किए–
सती प्रथा का अंत (Abolition of Sati Systems)
- विलियम बेंटिक से पूर्व किसी गवर्नर जनरल ने भारत की सामाजिक समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया था.
- विलियम बेंटिक ने हिन्दू समाज में सती और शिशुबध जैसी क्रूर प्रथाओं को समाप्त करने के लिए विशेष प्रयास किए.
- ऐसा माना जाता है कि भारत में सती प्रथा को शक लोग लाए.
- ऊंचे कुल के ब्राह्मण, क्षत्रियों और राजपूतों में यह प्रथा बहुत प्रचलित थी.
- इस प्रथा का घृणित पक्ष यह था कि इसमें पति की मृत्यु के बाद उसकी विधवा को जबरन अपने पति की चिंता में जलने के लिए बाध्य किया जाता था.
- अकबर समेत अनेक प्रबुद्ध भारतीय राजाओं ने इस प्रथा के उन्मूलन हेतु प्रयास किए.
- मराठों ने अपने क्षेत्र में इस प्रथा को बंद करवा दिया था.
- राजा राममोहन राय सरीखे कुछ प्रबुद्ध भारतीय समाज सुधारकों ने विलियम बेंटिक को इस प्रथा को अवैध घोषित करने की प्रेरणा दी.
- इन प्रयत्नों के फलस्वरूप 1829 में सती प्रथा उन्मूलन कानून पारित किया गया.
- इस कानून की धारा 17 के अधीन सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया.
- प्रारंभ में यह कानुन केवल बंगाल प्रेजीडेन्सी में लागू किया गया, 1830 में यह नियम बम्बई और मद्रास प्रेजिडेंसियों में भी ला कर दिया गया.
- राजा राममोहन राय और देवेन्द्र नाथ टैगोर जैसे समाज सुधारकों ने उक्त कार्य के लिए बेंटिक के प्रति आभार प्रकट किया.
- इसके अलावा देवी-देवताओं के सन्मुख नरबलि की प्रथा को भी बंद कर दिया गया.
- राजपूतों में वर्षों से चली आ रही कन्या-वध की प्रथा पर भी अंकुश लगा दिया गया.
ठग समस्या का उन्मूलन (Abolition of Thugi Problem)
- ‘ठग’ शब्द का तत्कालीन अभिप्राय डाकुओं और हत्यारों के एक समूह से था.
- यह समूह निषि और अरक्षित व्यक्तियों को लूट कर एवं उनकी हत्या करके अपना निर्वाह करता था.
- मुगल साम्राज्य के पतन की अवस्था में जब पुलिस प्रशासन अस्त-व्यस्त हो गया तो उस समय इन ठगों को अपना कार्यक्षेत्र बढ़ाने को अवसर मिल गया.
- छोटी-छोटी रियासतों के पदाधिकारी इससे निपटने में सक्षम न थे.
- ये लोग(Thugs ठग ) मुख्य रूप से अवध से हैदराबाद तक, राजपूताना और बुन्देलखण्ड के समस्त क्षेत्र में सक्रिय थे.
- इनमें हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के अनुयायी शामिल थे.
- इन ठगों का आपसी संगठन बहुत मजबूत था .
- इनका अनुशासन इतना सफल और कठोर था कि इनके असफल प्रयत्न का एक भी मामला सरकारी रिकार्ड में नहीं आया.
- विलियम बेंटिक ने इन ठगों से निपटने के लिए एक योजना तैयार की.
- सती प्रथा के प्रश्न या तो फिर भी कुछ मतभेद देखने को मिलता था किन्तु ठग समस्या के उन्मूलन हेतु जनता ने सरकार को भरपूर सहयोग दिया.
- कर्नल स्लीनन के नेतृत्व में ठगों के विरुद्ध कार्यवाही आरंभ हुई.
- लगभग 150 ठगों को बन्दी बनाया गया.
- अनेक ठग को फांसी की सजा दी गई तथा शेष को दण्ड स्वरूप आजौवन निवासित कर दिया गया.
- 1837 के बाद ठगों के संगठित स्वरूप का अंत हो गया.
- Thugs Of Hindostan (ठग ऑफ हिंदुस्तान) फिल्म 2018 में कुछ हद तक इनका अनुशासन बताने का प्रयास किया गया है.
सरकार की सेवाओं में भेदभाव का उन्मूलन (Abolition of Distinctions in Government Services)
- लार्ड कॉर्नवालिस के समय से चली आ रही सरकारी सेवाओं में भेदभाव की नीति को विलियम बेंटिक ने समाप्त कर दिया.
- 1833 के चार्टर एक्ट की धारा 87 में यह व्यवस्था थी कि सरकार की सेवा में भर्ती हेतु योग्यता को ही एकमात्र आधार के रूप में स्वीकार किया जाए.
प्रेस के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण
- समाचार पत्रों के प्रति विलियम बेंटिक ने उदारवादी नीति का पालन किया.
- विलियम बेंटिक प्रेस को स्वतंत्रता का प्रबल पक्षधर था.
- उसके मत में मद्रास में हुए सैनिक विद्रोह का प्रमुख कारण वहां समाचार पत्रों की स्वतंत्रता का अभाव था.
- उसके मत में समाचार पत्रों के माध्यम से सरकार के प्रति जनता के दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति होती है.
शैक्षणिक सुधार (Educational Reforms)
- विलियम बेंटिक ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए.
- उसने शिक्षा के उद्देश्य तथा माध्यम दोनों पर विचार किया.
- उसने मैकाले की अध्यक्षता में एक सार्वजनिक शिक्षा समिति का गठन किया.
- मैकाले ने अपनी सिफारिशों को 2 फरवरी, 1835 के अपने सुप्रसिद्ध “स्मरणपत्र” (Minute) में प्रतिपादित किया.
- मैकाले का यह मत था कि भारतीय भाषाओं में न तो कोई साहित्यिक तत्व है और न ही कोई वैज्ञानिक जानकारी.
- वास्तव में मैकाले की योजना भारत में एक ऐसा वर्ग तैयार करने की दी जो रंग और रक्त से तो भारतीय हो परन्तु प्रवृत्ति, विचार, नैतिकता और बुद्धि से अंग्रेज हो.
- मैकाले की यह योजना 7 मार्च, 1835 को अनुमोदित कर दी गई.
- इससे यह तय हुआ कि उच्च स्तरीय प्रशासन की भाषा अंग्रेजी होगी.
- अंग्रेजी भाषा, साहित्य, राजनीतिक विचार और प्राकृतिक विज्ञान में उच्च शिक्षा नीति का आधार बनाया गया.
- 1835 में विलियम बेंटिक ने कलकता में एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखी.
वित्तीय प्रशासन में सुधार (Reforms in Financial Administration)
- बर्मा के युद्ध से कम्पनी का कोष रिक्त हो गया था.
- शान्ति और सार्वजनिक व्यय में मितव्ययता लाना बेंटिक के समक्ष प्रमुख चुनौती थी.
- उसने इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए दो समितियां नियुक्त की एक सैनिक और दूसरी असैनिक.
- इन समितियों का कार्य बक्ष के संबंध में सुझाव देना था.
- कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर्ज के विशेष आदेश से सैनिकों का पता कर कर दिया गया.
- बंगाल में भूमि का संग्रहण के लिए प्रभावशाली कदम उठाए गए.
- बैटिंक ने यथासम्भव भारतीयों को अच्छा वेतन पाने वाले अंग्रेज अधिकारियों के स्थान पर नियुक्त करके भी व्यय को कम करने का प्रयास किया.
- उसने अफीम के व्यापार को नियमित तथा अनुपत्रित (Licensed) करके केवल बम्बई बन्दगाह से ही निर्यात करने की अनुमति दी.
- इस प्रकार कम्पनी को निर्यात कर का भाग भी प्राप्त होने लगा.
- इसके अलावा उसने लोहे और कोयले के उत्पादन को, चाय और कॉफी के बगीचों को तथा नहर परियोजनाओं को भी प्रोत्साहित किया.
- इन प्रयत्नों से उसने कम्पनी के वार्षिक लाभ में काफी वृद्धि कर दी.
न्याय प्रशासन में सुधार (Reforms in Judicial Administration)
- लार्ड कॉर्नवालिस द्वारा निर्मित प्रान्तीय अपीलीय और सरकिट न्यायालयों में कार्य के बढ़ जाने के कारण न्याय में प्रायः विलम्ब होता था.
- विलियम बेंटिक ने न्याय व्यवस्था के इस दोष को दूर करने के लिए प्रान्तीय और सरकिट न्यायालयों को बंद कर दिया.
- इन न्यायालयों का कार्य दण्डनायकों (Magistrates) तथा कलक्टरों को सौंप दिया.
- ये पदाधिकारी राजस्व तथा भ्रमणकारी आयुक्तों के अधीन होते थे.
- दिल्ली और आधुनिक उत्तर प्रदेश के लिए पृथक सदर दीवानी और सदर निजामत न्यायालय इलाहबाद में स्थापित किए गये.
- इससे यहां के निवासियों को अपील के लिए कलकत्ता नहीं जाना पड़ता था.
भारतीय रियासतों के प्रति नीति (Policy towards Indian States)
- कोर्ट ऑफ डारेक्टर्ज की अपेक्षाओं के अनुसार बेंटिक ने भारतीय रियासतों के प्रति तटस्थता की नीति अपनाई.
- उसने इस नीति का जयपुर, हैदराबाद, जोधपुर, बूंदी, कोटा और भोपाल के संबंध में तो पालन किया.
- किन्तु 1831 में मैसूर तथा 1834 में कुर्ग और कछाड़ की रियासतों के संबंध में इस नीति का त्याग कर दिया.
मूल्यांकन (Evaluation)
- विलियम बेंटिक ने भारत में ब्रिटिश नियंत्रण को ढीला करने के स्थान पर और सुदृढ़ किया.
- यह कार्य उसने अपने सामाजिक और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से किया.
- नि:सन्देह बेंटिक ने सती प्रथा और शिशु वध जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए प्रभावकारी प्रयत्न किए.
- उसने ठग समस्या का उन्मूलन किया.
- उसने सरकारी सेवाओं के संबंध में भेदभाव को समाप्त करने हेतु विशेष प्रयास किए.
- उसने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार किए और प्रेस की स्वतंत्रता का पक्ष लिया.
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