लॉर्ड लिटन, 1876-80 (Lord Lytton, 1876-1880)आधुनिक भारत (MODERN INDIA)
लॉर्ड लिटन 1876-80 (Lord Lytton)
- अप्रैल 1876 में लॉर्ड लिटन ने लॉर्ड नार्थबुक के उत्तराधिकारी के रूप में भारत के गवर्नर जनरल का पद भार सम्भाला.
लॉर्ड लिटन और मुक्त व्यापार (Lord Lytton and Free Trade):
- जुलाई, 1877 में ब्रिटिश सरकार ने लॉर्ड लिटन को यह आदेश दिया कि भारत में कपास के आयात पर लगने वाला कपास शुल्क (Cotton Duties) समाप्त कर दिया जाए.
- लॉर्ड लिटन ने अकाल के कारण शोचनीय वित्तीय स्थिति के होते हुए भी कपास शुल्क समाप्त कर दिया.
- इस कृत्य से जनता में काफी आक्रोश फैल गया.
वित्तीय सुधार (Financial Reforms)
- लॉर्ड मेयो द्वारा प्रस्तुत वित्तीय विकेन्द्रीयकरण की नीति यथावत चलती रही.
- इस दिशा में लॉर्ड लिटन ने एक सुधार किया.
- उसने प्रान्तीय सरकारों को साधारण प्रान्तीय सेवाओं जैसे- भूमिकर, उत्पादन कर एवं आबकारी, टिकटें, कानून और व्यवस्था एवं सामान्य प्रशासन आदि पर व्यय करने का अधिकार दे दिया.
- यह कहा गया कि प्रान्तीय सरकारें इस कार्य के लिए अपने साधनों से धन की व्यवस्था करें.
- इससे यह आशा की गई कि प्रान्तीय सरकारें अपने साधनों का विकास करेंगी जिससे सरकार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाएगी.
1876-78 का अकाल (Famine of 1876-78)
- सन् 1876 से 1878 तक भारत में भयंकर अकाल पड़ा.
- अकाल से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र थे- मद्रास, बम्बई मैसूर, हैदराबाद, मध्यभारत के कुछ भाग और पंजाब .
- अकाल से निपटने के सरकार के तथाकथित प्रयासों की असफलता शीघ्र हो सामने आ गई.
- 1878 में रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता में एक “अकाल आयोग” का गठन किया गया.
राज-उपाधि अधिनियम, 1876 (Royal Titues Act, 1876) :
- ब्रिटिश संसद् ने 1876 में महारानी विक्टोरिया को ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित करने के लिए एक राज-उपाधि अधिनियम पारित किया.
- इस उपाधि को प्रदान करने के लिए दिल्ली में करोड़ों रुपये खर्च करके एक वैभवशाली दरबार का आयोजन किया गया.
- एक तरफ यह करोड़ों रुपये का आयोजन था और दूसरी ओर भयंकर अकाल से जूझती भारत की असहाय जनता.
- सरकार के इस कृत्य ने जनता को गम्भीर रूप से नाराज किया.
भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम मार्च, 1878 (Vernacular Press Act March, 1878) :
- सरकार की दमनकारी नीतियों को भारतीय भाषाई समाचार पत्रों में खुलकर निंदा की जा रही थी.
- सरकार ने इन समाचार पत्रों पर अंकुश लगाने के लिए मार्च, 1878 में भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम पारित किया.
- इस अधिनियम के द्वारा भारतीय भाषाई के समाचार पत्रों के प्रकाशकों को दण्डनायक उचित एवं बाध्यकारी आदेश दे सकता था.
- आदेश का उल्लंघन करने पर प्रायः छापाखाने जब्त कर लिए जाते थे.
- दण्डनायक की आज्ञा के विरुद्ध किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती थी.
भारतीय शस्त्र अधिनियम 1878 (Indian ArrIs Act, 1878) :
- लिटन की दमन कारी नीति का ही एक रूप 1878 का भारतीय शस्त्र अधिनियम था.
- इस अधिनियम के अनुसार भारतीयों के लिए बिना लाइसेंस के हथियार रखना या इनका व्यापार करना एक दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया था.
- यह व्यवस्था यूरोपीय, ग्लो इंडियन और सरकारी अधिकारियों के संबंध में लागू न थी.
वैधानिक लोक सेवा (Statutory Civil Service) :
- लॉर्ड लिटन ने 1878-1879 में वैधानिक लोक सेवा की एक योजना प्रस्तुत की.
- इस योजना के अनुसार उच्च कुलीन भारतीयों की वैधानिक लोक सेवा में युक्ति की व्यथा की गई.
- ये नियुक्तियां प्रान्तीय सरकारों की सिफारिश पर भारत सचिव की अनुमति से की जाती थी.
- किन्तु यह “वैधानिक लोक सेवा” को वरथा भारतीयों में बहुत लोकप्रिय न हो सकी.
- अत: आठ वर्ष बाद यह सेवा बन्द कर दी गई.
दूसरा अफगान युद्ध (The Second Afghan war) :
- लॉर्ड लिटन ने पश्चिम में साम्राज्य के विस्तार के लिए अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया.
- किन्तु यह अभियान पूर्णत: असफल रहा.
- इस युद्ध में सरकार का करोड़ों रुपया व्यय हो गया.
मूल्यांकन (Evaluation)
- लॉर्ड लिटन को भारत में एक दमनकारी शासक के रूप में याद किया जाता है.
- यह एक शासक के रूप में असफल रहा.
- उसकी अप्रिय और दमनकारी नीतियों से भारत की जनता में व्यापक असन्तोष फैल गया.
लॉर्ड डलहौजी, 1848-1856 (Lord Dalhousie) व्यपगत का सिद्धांत (The Doctrine of Lapse)
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