लार्ड एलनबरो, 1842-1844 (Lord Ellenborough, 1842-1844)आधुनिक भारत (MODERN INDIA)
लार्ड एलनबरो 1842-1844 (Lord Ellenborough)
- लार्ड एलनबरो को भारत की बागडोर सम्भालने के लिए ऐसे समय में भेजा गया जब अफगानिस्तान में अंग्रेजों की हार हो चुकी थी और स्थिति अत्यन्त गम्भीर थी.
- एलनबरो के समय में सर्वप्रथम अफगान युद्ध को सफलतापूर्वक दबाया गया.
- सिन्ध पर विजय प्राप्त कर उसे अंग्रेजी राज्य में मिलाया गया तथा सिंधिया के साथ युद्ध हुआ.
सिंध की विजय
- यूरोप और एशिया में यूरोपियों और रूसियों की शत्रुता बढ़ रही थी और अंग्रेजों को भय था कि रूसी अफगानिस्तान या फारस के रास्ते भारत पर हमला कर सकते हैं.
- सिंध की विजय इसी का परिणाम थी.
- साथ ही सिंध नदी के व्यापारिक उपयोग की संभावनाएं भी इसी लालच का एक कारण थी.
- 1832 की एक संधि के द्वारा सिंध की नदियों और सड़कों को .
- ब्रिटिश व्यापार के लिए खोल दिया गया था.
- सिंध के अमीर कहलाने वाले सरदारों से 1839 में एक सहायक संधि पर हस्ताक्षर कराए गए.
- अंत में पहले के इन वादों को भुलाकर कि उनके राज्य को कोई आंच नहीं आयेगी, फौजी तथा राजनीतिक विभाग के सर्वोच्च नियंत्रक सर चार्ल्स नेपियर ने 1843 में एक संक्षिप्त अभियान के बाद सिंध का अधिग्रहण कर लिया.
- इससे पहले सर चार्ल्स नेपियर ने अपने आक्रमण के कार्यक्रम में यह बात सिद्धान्त रूप में रखी कि, ‘इन्नस’ के अनुसार, –
“सिन्ध को अंग्रेजी राज्य में मिलाना लाभप्रद कुटिलता होगी. इसके लिए उसे कोई न कोई बहाना ढूँढना होगा. यह एक प्रकार की डकैती थी. जिसका प्रभाव प्रकट था.”
ग्वालियर से युद्ध
- 1846 में जनकजी सिंधिया का देहावसान हो गया. उनकी कोई सन्तान नहीं थी.
- इसलिए उनकी विधवा ताराबाई ने एक बच्चा गोद ले लिया तथा गवर्नर जनरल की अनुमति से एक रीजेन्ट नियुक्त किया गया.
- परन्तु यह आशंका कि फौज में विद्रोह न हो जाए उसे बर्खास्त कर दिया गया और गवर्नर जनरल ने फौज में कमी की मांग की.
- इस बात को मानने से इन्कार करने पर दोनों में युद्ध आरम्भ हो गया और सिंधिया फौज को पराजित होना पड़ा.
- डायरेक्टर भारत में लार्ड एलनबरो की शासन व्यवस्था से असंतुष्ट थे.
- अत: जून 1844 में उचित कार्यवाही द्वारा उसे वापस आने का आदेश दिया गया.
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