लार्ड हेस्टिंग्ज, 1813-23 (LORD HASTINGS, 1813-23) आधुनिक भारत (MODERN INDIA)
लार्ड हेस्टिंग्ज, 1813-23 (LORD HASTINGS, 1813-23)
- लार्ड हेस्टिाज़ ने भारत में कम्पनी की राजनीतिक सर्वश्रेष्ठता स्थापित की.
आंग्ल-नेपाल युद्ध, 1814-16 (Anglo-Nepal War, 1814-16)
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ का पहला युद्ध नेपाल से हुआ.
- 1801 में अंग्रेजों ने गोरखपुर और बस्ती जिलों पर अधिकार कर लिया.
- नेपालियों ने बस्ती के उत्तर में बटवाल और पूर्व में शिवराज जिलों पर अधिकार कर लिया.
- अंग्रेजों ने शीघ्र ही इन जिलों को पुनः प्राप्त कर लिया.
- अंग्रेजों के इस कृत्य से क्रुद्ध होकर नेपाली गोरखों ने मई 1814 में बटवाल जिले की तीन अंग्रेज पुलिस चौकियों पर आक्रमण कर दिया.
- अंग्रेजों ने इस आक्रमण का सामना किया किंतु वे सफल न हो सके.
- अप्रैल, 1815 में अंग्रेजों ने अल्मोड़ा नगर पर अधिकार कर लिया.
- मई, 1815 में मालाओ नगर भी अमर सिंह थापा से छीन लिया गया.
- इस प्रकार अंग्रेजों ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त किया.
- 28 फरवरी, 1816 को अंग्रेजों ने मकबनपुर के स्थान पर गोरखों को परास्त कर दिया.
सगौली की संधि , 1866 (The Treaty of Sagauli, 1816)
- सगौली की संधि नेपाली गोरखों और अंग्रेजों के मध्य हुई.
- सगौली की संधि के द्वारा गोरखों ने काठमाण्डू में एक अंग्रेज रेजिडेंट रखना स्वीकार किया.
- सगौली की संधि के बाद कम्पनी को उत्तरी तथा उत्तरी पश्चिमी सीमाएं हिमाचल तक पहुंच गई.
- अंग्रेजों को शिमला, मंसूरी, रानीखेत, लण्डौर और नैनीताल आदि जिले भी प्राप्त हुए.
- 10 फरवरी, 1817 को अंग्रेजों ने सिक्किम के राजा चोग्याल से एक संधि की.
- इस संधि के द्वारा अंग्रेजों को तीस्ता और मेछी नदियों के मध्य का समस्त प्रदेश प्राप्त हो गया.
- सगौली की संधि का सबसे बड़ा लाभ गोरखों का अंग्रेजी सेना में भर्ती होना था.
पिण्डारी (The Pindaris)
- लार्ड हेस्टिंग्ज के भारत आगमन का प्रथम उद्देश्य पिण्डारियों का दमन था.
- पिण्डारी शब्द सम्भवतः मराठी भाषा का शब्द है.
- इन लोगों के बारे में यह अनुमान लगाया जाता है कि ये पिण्ड (एक प्रकार का आसव या शराब) को पीने वाले लोग थे.
- 18वीं और 19वीं शताब्दी में ये लोग लूटमार के द्वारा अपनी जीविका चलाते थे.
- पेशवा बाजीराव प्रथम के काल में ये अवैतनिक रूप से मराठों की ओर से लड़ते थे तथा लूटमार में भाग लेते थे.
- पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद ये लोग मालवा में बस गए तथा सिंधिया, होल्कर और निजाम के सहायक सैनिक बनकर सिंधिया शाही, होल्कर शाही और निजाम शाही पिण्डारी कहलाने लगे.
- मराठा शक्ति के क्षीण होते ही इन्होंने मराठा प्रदेशों में भी लूटमार आरंभ कर दी.
- इन लोगों का कोई धर्म विशेष नहीं था.
- ये केवल लूटमार के बंधन से बंधे थे.
- 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में इनके तीन प्रमुख नेता थे चीतू, वालिस मुहम्मद और करीम खां.
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ ने इनके दमन का निश्चय किया. उसने मराठा, राजपूत और भोपाल के नवाब की सहायता से 1824 तक इन पिण्डारियों का पूर्णतः सफाया कर दिया.
लार्ड हेस्टिंग्ज और मराठे (Lord Hastings and Marathas)
- 1802 की बसीन की संधि के माध्यम से पेशवा ने कम्पनी की अधीनता स्वीकार कर ली थी.
- किन्तु अंग्रेजों का दबाव उस पर निरन्तर बढ़ता जा रहा था.
- वह भीतर ही भीतर अंग्रेजी नियंत्रण से अपने को स्वतंत्र करने के लिए प्रयत्नशील था.
- उसके ये प्रयत्न ईस्ट इंडिया कम्पनी को स्वीकार्य नहीं थे.
- 1815 में पेशवा के प्रधानमंत्री त्रिम्बकजी ने बड़ौदा के गायकवाड़ के एक ब्राह्मण दूत गंगाधर शास्त्री की हत्या करवा दी.
- वह ब्रिटिश सुरक्षा में पूना गया था.
- ब्रिटिश रेजीडेन्ट एलफिंस्टन ने पेशवा से त्रिम्बकजी को अंग्रेजों को सौंपने की मांग की.
- उसने पेशवा को नई सहायक संधि पर हस्ताक्षर के लिए भी बाध्य किया.
- पेशवा बाजीराव ने अंग्रेजों के इस व्यवहार से खिन्न होकर अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी.
- 1817 में नागपुर के अप्पा साहेब भोंसले तथा इंदौर के होल्कर ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी.
- सीताबल्दी के स्थान पर अप्पा साहेब को और माहिदपुर के युद्ध में होल्कर को अंग्रेजी सेना ने पराजित कर दिया.
- 1819 में अंग्रेजों ने असीरगढ़ पर अधिकार कर लिया.
- नवम्बर, 1817 में किर्की के युद्ध में पेशवा की पराजय के साथ ही पेशवा के पद का उन्मूलन कर दिया गया.
- अंग्रेजों ने पेशवा के साथ उदार व्यवहार करते हुए उसे आजीवन 18 लाख रुपये की पेन्शन प्रदान की.
- सतारा के सिंहासन पर शिवाजी के वंशज प्रताप सिंह को बिठाया गया.
- नागपुर से अप्पा साहेब की सत्ता समाप्त कर एक नए राजा को सत्ता सौंपी गई.
- होल्कर को सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया.
- इस प्रकार से मराठों की शक्ति को पूर्ण रूप से दबा दिया गया.
- भविष्य में वे पुनः अंग्रेजों को चुनौती देने की स्थिति में न पहुंच सके.
लार्ड हेस्टिंग्ज़ और राजपूत रियासते (Lord Hastings and IRajput States)
- राजपूत रियासतों के संबंध में लार्ड हेस्टिंग्ज की यह योजना थी कि ये रियासतें अपने आपसी संबंधों के लिए कम्पनी पर आश्रित हों तथा इनके सैनिक साधन भी कम्पनी के अधीन हों.
- इस योजना के तहत जनवरी, 1818 में जोधपुर के राजपूत राजा से संधि की गई.
- इस संधि का आधार शाश्वत मित्रता, रक्षात्मक संधि, संरक्षण और अधीनस्थ सहयोग था.
- किन्तु इस संधि के अनुसार राज्य को 1500 घुड़सवारों की एक सेना कम्पनी को देनी पड़ी.
- यह भी तय किया गया कि आवश्यकता पड़ने पर समस्त सेना भी दी जा सकेगी.
- इसके अलावा यह भी निश्चित किया गया कि रियासत कम्पनी को एक लाख आठ हजार रुपये वार्षिक कर के रूप में देगी.
- जनवरी, 1818 में उदयपुर के महाराणा से भी संधि हो गयी.
- इस संधि के अनुसार यद्यपि महाराणा को कोई सेना नहीं देनी पड़ी तथापि उसे अपनी आय का एक-चौथाई भाग आगामी पांच वर्षों तक कम्पनी को देना पड़ा.
- उसने यह भी स्वीकार किया कि वह कालान्तर में अपनी आय का 3/8 भाग कम्पनी को देगा.
- 2 अप्रैल, 1818 को हेस्टिंग्ज़ जयपुर के महाराजा से भी संधि करने में सफल हो गया.
- लार्ड हेस्टिंग्ज द्वारा राजपूत रियासतों से की गई उक्त संधियां बहुत कठोर थी.
- लार्ड हेस्टिंग्ज के थोड़े से प्रयत्न से ही इन राजपूत रियासतों की स्वतंत्रता ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन आ गई.
लार्ड हेस्टिंग्ज और मुगल सम्राट (Lord Hastings and Mughal Emperor)
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ के शासन काल तक यद्यपि कम्पनी भारत में सर्वश्रेष्ठ शक्ति बन गई थी तथापि बाह्य आडम्बर और सम्मान मुगल सम्राट का ही था.
- शासन के समस्त कार्य मुगल सम्राट के नाम पर ही किए जाते थे.
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ ने इस परम्परा को तोड़ने के लिए उस समय तक सम्राट से मिलने से इन्कार कर दिया जब तक कि यह परम्परागत शिष्टाचार समाप्त न किया जाए तथा दोनों समानता की अवस्था में न मिलें.
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ के इस प्रतिवाद के फलस्वरूप उसके उत्तराधिकारी एमहर्ट को 1827 में मुगल सम्राट से बराबरी का सम्मान मिला.
लार्ड हेस्टिंग्ज़ के प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms)
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ के शासन काल में कुछ महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार भी हुए.
- उसे सर जॉन मेल्कम, सर टॉमस मनरो, माउंट स्टुअर्ट एल्फिंस्टन और चार्ल्स मेटकाफ़ जैसे प्रतिभाशाली प्रशासकों का सहयोग प्राप्त हुआ.
- 1820 में टामस मनरो मद्रास का गवर्नर बना.
रैयतवाड़ी कर व्यवस्था
- उसने मालाबार, कोयम्बटूर, मदुरै और डिंडीगुल में रैयतवाड़ी कर व्यवस्था लागू की.
- रैयतवाड़ी कर व्यवस्था के तहत किसानों को भूमि का स्वामी माना गया .
- उनके और सरकार के मध्य स्थित जमींदारों या बिचौलियों को समाप्त कर दिया.
भूमि कर व्यवस्था
- एल्फिन्स्टन ने मराठा प्रदेशों में महलवाड़ी और रैयतवाड़ी व्यवस्था के सम्मिश्रण को भूमि कर व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया.
- इस मिश्रित व्यवस्था में कृषक के अधिकार एक सर्वेक्षण के बाद निश्चित कर दिए गए.
- कर संग्रह का कार्य कुछ वर्षों के लिए पाटिलों को सौंप दिया गया.
बंगाल काश्तकारी अधिनियम
- 1822 में बंगाल में रैयत के अधिकारों की सुरक्षा हेतु बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया.
- बंगाल काश्तकारी अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि यदि रैयत अपना निश्चित किराया देती रहे तो उसे विस्थापित नहीं किया जाएगा साथ ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर किराया भी नहीं बढ़ाया जाएगा.
- लार्ड हेस्टिंग्ज़ ने न्याय व्यवस्था में सुधार हेतु बंगाल में न्यायाधीशों और दण्डनायकों (Magistrates) की पृथकता समाप्त कर दी.
- कलक्टरों को दण्डनायक का कार्य करने की भी अनुमति दी गई.
- लार्ड हेस्टिग्ज़ ने प्रेस पर से भी नियंत्रण उठा लिया साथ ही समाचार पत्रों के मार्ग दर्शन हेतु कुछ नियम बना दिए गए ताकि लोकहित के विरुद्ध समाचार पत्र कुछ प्रकाशित न कर सके.
मूल्यांकन (Evaluation)
- भारत आगमन के समय लार्ड हेस्टिग्ज की आयु 60 वर्ष थी.
- इसके बावजूद उसने एक कुशल सेनापति के रूप में अपनी सेना का नेतृत्व किया.
- उसने भारत में कम्पनी की सर्वश्रेष्ठता स्थापित की.
- उसने अनेक प्रशासनिक और न्यायिक सुधार भी किए.
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