Wednesday, December 26, 2018

लॉर्ड रिपन, 1880-1884 (Lord Ripon) आधुनिक भारत

लॉर्ड रिपन, 1880-1884 (Lord Ripon, 1880-1884) आधुनिक भारत (MODERN INDIA)

लॉर्ड रिपन, 1880-1884 (Lord Ripon)

  • लॉर्ड रिपन 1880 में भारत का गवर्नर जनरल बना.
  • उसने भारत के प्रति अपनी नीति का इन शब्दों में वर्णन किया.
  • भारत में रहने का हमारा अधिकार इस तर्क पर आधारित है कि भारत में हमारा शासन भारतीयों के लिए हितकर हो.
  • साथ ही भारतीय भी यह अनुभव करें कि यह उनके लिए हितकर है.
  • लॉर्ड रिपन ने लॉर्ड लिटन की दमनकारी नीतियों से घायल भारत के घावों को भरने का प्रयास किया.
  • उसने स्थानीय स्वशासन की योजना निर्धारित की और भारत में प्रतिनिधि संस्थाओं की नीव डाली.

लॉर्ड रिपन, 1880-1884 (Lord Ripon, 1880-1884) आधुनिक भारत (MODERN INDIA) इलबर्ट बिल विवाद

भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम को रद्द करना (Repeal of the Vernacular Press Act)

  • समाचार पत्रों कि स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाले इस घृणित अधिनियम को लॉर्ड रिपन ने 1882 में रद्द कर दिया.
  • उसने भारतीय भाषा के समाचार पत्रों को अंग्रजी भाषा के समाचार पत्रों के समान स्वतंत्रता दे दी.
  • किन्तु सरकार ने समुद्र आशुल्क अधिनियम (Sea Customs Act) के माध्यम से प्रैस पर कुछ अंकुश बनाए रखा.

पहला फैक्टरी एक्ट, 1881 (The First Factory Act, 1881)

  • लॉर्ड रिपन ने भारतीय मिल मजदूरों की शोचनीय स्थिति को सुधारने के लिए प्रथम फैक्टरी एक्ट पारित करवाया.
  • यह एक्ट उन कारखानों पर लाग किया गया जिनमें 100 से अधिक श्रमिक कार्य करते थे.
  • इस एक्ट की व्यवस्थाओं के अनुसार सात वर्ष से कम आयु के बच्चों से कारखानों में काम नहीं करवाया जा सकता था.
  • 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए काम के घटे निर्धारित किए गए.

वित्तीय विकेन्द्रीयकरण, 1882 (Financial Decentralization, 1882)

  • लॉर्ड रिपन ने लॉर्ड मेयो द्वारा प्रतिपादित वित्तीय विकेन्द्रीयकरण की नीति को जारी रखा.
  • उसने प्रान्तों का आर्थिक उत्तरदायित्व बढ़ाने के लिए कर के साधनों को निम्नलिखित तीन भागों में बांट दिया—

साम्राज्यीय मदें (Imperial Heads)

  • इसमें सीमा शुल्क, डाक तार, रेलवे, अफीम, नमक, टकसाल, सैनिक, आय और भूमिकर आदि रखे गए.

प्रान्तीय मदें (Provincial Heads)

  • इसमें स्थानीय महत्व की मदें जैसे- जेलों, चिकित्सा सेवाओं, मुद्रण, राजमार्ग और सामान्य प्रशासन आदि आती थी.
  • इनसे प्राप्त समस्त आय प्रान्तीय सरकारों को दी जाती थी.

विभाजित मदें (Divided Heads)

  • इसमें आबकारी कर, स्टाम्प कर, जल, पंजीकरण शुल्क आदि में सम्मिलित थी.
  • इनसे प्राप्त आय प्रान्तीय और केन्द्रीय सरकारों के मध्य बराबर बराबर बांट दी जाती थी.

स्थानीय स्वशासन की स्थापना (Establishinent of Local Self Government LSG)

  • भारत में लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन का पिता कहा जाता है.
  • लॉर्ड रिपन के शासन काल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य स्थानीय स्वशासन पर 1882 का सरकारी प्रस्ताव था.
  • इस प्रस्ताव के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय बेड की स्थापना की गई.
  • प्रत्येक जिले में जिला उपविभाग, तालुका या तहसील बोर्ड की स्थापना की गई.
  • नगरों में नगरपालिकाएं स्थापित की गई.
  • इन स्थानीय संस्थाओं को निश्चित कार्य तथा आय के साधन दिए गए.
  • इन संस्थाओं में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या अधिक होती थी.
  • इन संस्थाओं के संबंध में हस्तक्षेप बहुत कम कर दिया गया.
  • यह आशा की गई कि सरकार इन संस्थाओं को आज्ञादे बल्कि इनका उचित मार्ग दर्शन करे.
  • इन संस्थाओं के अध्यक्ष सरकारी अधिकारी नहीं होते थे वरन् इनके सदस्यों द्वारा चुने जाते थे.
  • किन्तु कुछ कार्यों के संबंध में सरकारी अनुमति आवश्यक होती थी.
  • ये कार्य थे-ऋण लेना, किसी कार्य पर निश्चित राशि से अधिक व्यय, प्राधिकृत मदों से भिन्न पदों पर कर लगाना और नगरपालिका की सम्पत्ति को बेचना आदि.

भूमिकर व्यवस्था पर प्रस्ताव (Resolution on Land Revenue)

  • लार्ड कॉर्नवालिस ने 1793 में बंगाल में जिस भूमिकर व्यवस्था को स्थापित किया उसमें लार्ड रिपन ने कुछ सुधार करने का निश्चय किया.
  • लार्ड रिपन किसानों को उनकी भूमि के संबंध में स्थाई अधिकार दिलवाना चाहता था.
  • वह कृषकों को यह भी आश्वासन देना चाहता था कि सरकार भूमिकर केवल भूमि के मूल्य की वृद्धि की अवस्था में ही बढ़ाएगी.
  • किन्तु बंगाल के जमींदारों ने इसका उग्र विरोध किया.
  • भारत सचिव भी लार्ड रिपन को उक्त योजनाओं से सहमत न हो सका.
  • अतः यह योजना क्रियान्वित न हो सकी.

शैक्षणिक सुधार (Educational Reforms) हन्टर आयोग

  • 1854 के वुड-निर्देशपत्र (wood’s Despatch) के पश्चात् शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति का पुनर्विलोकन करने के लिए 1882 में सर विलियम हन्टर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया.
  • हन्टर आयोग ने सरकार के प्रारभिक शिक्षा के प्रसार और उन्नति के उत्तरदायित्व पर जोर दिया.
  • हन्टर आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि यह कार्य नव स्थापित स्थानीय संस्थाओं को सौंप दिया जाए.
  • इन संस्थाओं पर सरकार कड़ी निगरानी रखे.
  • माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में दो प्रकार की पद्धतियों का सुझाव दिया गया —
  1. साधारण साहित्यिक शिक्षा जिसमें विद्यार्थियों को प्रवेशिका परीक्षा के लिए तैयार किया जाए.
  2. तह वाणिज्यिक शिक्षा जो विद्यार्थियों को वाणिज्यिक और उपव्यवसायिक जीवनयापन के लिए तैयार कर सके.
  • हन्टर आयोग ने सहायक अनुदान व्यवस्था का समर्थन किया.
  • हन्टर आयोग ने स्त्री शिक्षा पर भी जोर दिया.

इलबर्ट बिल विवाद, 1883-84 (The Ilbert Bill Controversy, 1883-84)

  • सर पी. सी. इलबर्ट वाइसराए की परिषद् के विधि सदस्य थे.
  • 2 फरवरी, 1883 को उन्होंने विधान परिषद् में एक प्रस्ताव (बिल) प्रस्तुत किया.
  • यह बिल इलबर्ट बिल के नाम से प्रसिद्ध है.
  • इस बिल का उद्देश्य यह था कि जाति – भेद पर आधारित सभी न्यायिक आयोग्यताएं तुरन्त समाप्त कर दी जाएं और भारतीय तथा यूरोपीय न्यायाधीशों को समान शक्ति प्रदान की जाएं.
  • इलबर्ट बिल को यूरोपीय लोगों ने अपने विशेषाधिकारों पर कुठारधात बतलाया.
  • यूरोपीय लोग भारतीयो से दासो जैसा व्यवहार करते थे.
  • विरोध करने पर प्रायः इन्की हत्या तक कर दी जाती थी.
  • इन तथाकथित यूरोपीय स्वामियों को यूरोपीय न्यायाधीश बिना दण्ड के ही अथवा थोड़ा सा दण्ड देकर छोड़ देते थे.
  • इलबर्ट बिल से यूरोपीय लोगों और न्यायाधीशों की इस मनमानी पर अंकुश लग जाता.
  • अतः इस बिल का तीव्र विरोध हुआ. इस बिल को रद्द करने के लिए लॉर्ड रिपन पर भारी दबाव पड़ने लगा.
  • अन्ततः इस बिल के संबंध में एक समझौता हो गया जिससे इस बिल का मूल उद्देश्य समाप्त हो गया.
  • उक्त समझौते के अनुसार 26 जनवरी, 1884 को एक नया प्रस्ताव स्वीकार किया गया.
  • इसके अनुसार यदि यूरोपीय लोगों के मुकदमे दण्डनायकों या सेशन जजों के सामने आए तो वे लोग (यूरोपीय लोग) 12 व्यक्तियों की शपथ जन (Jury) द्वारा मुकदमें की सुनवाई की मांग कर सकते थे.
  • इन 12 व्यक्तियों में कम से कम सात का यूरोपीय अथवा अमेरिकन होना अनिवार्य था.

मूल्यांकन (Evaluation)

  • लॉर्ड रिपन को प्रायः “भारत के उद्धारक” को संज्ञा दी जाती है.
  • उसके शासन काल को भारत में स्वर्ण युग के आरंभ की संज्ञा दी जाती है.
  • रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक भी कहा जाता है.
  • लॉर्ड रिपन ने 1831 में विलियम बैंटिक द्वारा मैसूर के प्रति किए गए अन्याय को समाप्त करने की भावना से मैसूर के स्वर्गवासी राजा के दत्तक पुत्र को मैसूर पुनः लौटाकर अपनी उदारता का परिचय दिया.
  • 1882 में लॉर्ड रिपन ने अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही अपना त्यागपत्र दे दिया.

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