साइमन कमीशन (Simon Commission) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
साइमन कमीशन (Simon Commission in Hindi)
साइमन कमीशन का गठन और उद्देश्य
- साइमन कमीशन के गठन के बाद आंदोलन के इस नए चरण को बल मिला.
- 1919 के भारतीय शासन अधिनियम की अन्तिम धारा में कहा गया था कि भारत में संवैधानिक सुधारों की छानबीन के लिए ब्रिटिश संसद दस वर्ष बाद एक शाही आयोग नियुक्त करेगी.
- इसलिए सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 8 नवम्बर, 1927 को ब्रिटिश संसद द्वारा एक आयोग या कमीशन नियुक्त किया गया, जिसे ‘साइमन कमीशन’ कहा गया.
- इसका उद्देश्य आगे सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था.
साइमन वापस जाओ (Simon go back)
- साइमन कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज थे.
- जिस कारण सम्पूर्ण देश में सभी लोगों द्वारा इसका बहिष्कार हुआ.
- 7 फरवरी, 1928 को आयोग के बम्बई उतरने से लेकर, जब तक आयोग भारत में रहा उसका सभी जगह हड़तालों, काले झण्डों और ‘साइमन वापस जाओ’ (साइमन गो बैक) आदि के नारों से स्वागत हुआ.
- जब यह कमीशन लाहौर पहुंचा वहां लाला लाजपत राय ने एक विशालकाय विरोध जुलूस लिकाला.
- पुलिस अधिकारी साण्डर्स के इशारे पर जुलूस पर लाठीचार्ज किया गया.
- जिसमें लाला लाजपत राय गम्भीर रुप से घायल हो गये और बाद में उनका देहान्त हो गया.
सामइन कमीशन रिपोर्ट की सिफारिशें
- मई, 1930 में प्रकाशित सामइन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार थी –
- प्रान्तों में वैध शासन को समाप्त करके उत्तरदायी शासन स्थापित कर दिया जाए.
- भारत के लिए संघ शासन की स्थापना की जाए.
- अल्पसंख्यकों के हितों के लिए गर्वनरों तथा गवर्नर जनरल को विशेष शक्तियाँ प्रदान की जाएं.
- मताधिकार का विस्तार करने अर्थात् इसे 2.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही गई.
- रिपोर्ट में कहा गया कि संघ की स्थापना से पहले भारत में एक ‘वृहत्तर भारतीय परिषद्’ की स्थापना की जाए, जिसमें भारत के प्रान्तों और भारतीय रियासतों के प्रतिनिधि शामिल हों. इस परिषद् के माध्यम से प्रान्त व रियासतें अपनी समस्याओं पर विचार-विमर्श करेंगे.
- केन्द्रीय शासन के अपरिवर्तित रहने की बात कही गई.
- प्रान्तीय विधान मण्डल के सदस्यों की संख्या में वृद्धि करने और सरकारी सदस्यों की व्यवस्था समाप्त करने की बात कही गई.
- बर्मा को स्वतंत्र करने की बात कही गई.
- 1919 के अधिनियम की यह व्यवस्था कि प्रति 10 वर्ष बाद जांच-पड़ताल के लिए एक समिति नियुक्त हो, को समाप्त करने की बात कही गई. साथ ही नए संविधान को ऐसा लचीला बनाने की बात कही गई कि वह स्वयं ही विकसित होता रहे.
- सभी महत्वपूर्ण भारतीय नेताओं और दलों ने परस्पर एकजुट होकर तथा संवैधानिक सुधारों की एक वैकल्पिक योजना बनाकर साइमन कमीशन की चुनौती का जवाब देने का प्रयास किया.
- प्रमुख राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अनेक सम्मेलन और संयुक्त बैठकें आयोजित की गई.
- इसका परिणाम नेहरु रिपोर्ट के रूप में सामने आया.
क्रान्तिकारी-आतंकवाद का दूसरा चरण (Second Phase of Revolutionary Terrorism) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
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