अरबों की सिंध की विजय एक घटना मात्र है शक्तिशाली राजपूत राजाओं ने अरबों को सिन्ध से खदेड़ दिया
(1) अरब में खिलाफत के लिए उमैय्यदों और अबासिदों में संघर्ष छिड़ गया तथा अबासिद नए खलीफा बने जिन्हें सिन्ध के प्रति अधिक रुचि नहीं थी. फलस्वरूप सिंध पर अरबों का नियन्त्रण ढीला पड़ गया.
(2) अरबों ने भारत में गलत मार्ग से प्रवेश किया-क्योंकि सिंध एक निर्धन प्रान्त होने के कारण अरबों को शेष भारत को विजय करने के लिए आवश्यक सामग्री प्रदान नहीं कर सकता था. सिन्ध की ओर अधिक ध्यान इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि यह उनके लिए लाभपद्र सिद्ध न हुआ.
(3) मुहम्मद-बिन-कासिम भारतीय परिस्थितियों को धीरे-धीरे समझ चुका था. वह एक योग्य सैनिक नेता व कूटनीतिज्ञ भी था. किन्तु 715 ई. में खलीफा सुलेमान ने उसकी हत्या करवा दी. उसकी मृत्यु से भी सिन्ध में अरब सत्ता को ठेस पहुंची.
(4) अरब शासकों ने हिन्दुओं व गैर-मुस्लिमों पर अनेक अत्याचार किए. अतः वे लोकप्रियता प्राप्त न कर सकें. ऐसी परिस्थिति में अरब शासन का अधिक समय तक रहना असम्भव ही था.
(5) मुस्लिम सरदारों में परस्पर फूट व संघर्ष के कारण भी मुसलमानों में पहले जैसा धार्मिक जोश न रहा.
(6) तुर्की साम्राज्य के विस्तार के साथ-साथ अरबों तथा खिलाफत की सत्ता को गहरी चोट लगी. तुर्को ने अरब देशों को जीत लिया था तथा अरब सिन्ध में भी स्थायी रूप से अपनी सत्ता कायम नहीं रख सके.
(7) उस समय अनेक शक्तिशाली राजपूत राजाओं ने अरबों को सिन्ध से खदेड़ दिया. वस्तुतः मुल्तान और मंसूरा को छोड़कर शेष सिन्ध पर हिन्दुओं का अधिकार शीघ्र ही स्थापित हो गया. बाद में जब भारत में तुर्की सल्तनत की स्थापना हुई तो सिन्ध में अरब शासन का पूर्ण रूप से अन्त हो गया.
अरबों की सिंध की विजय एक घटना मात्र है (MEDIEVAL INDIA)
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