अलाउद्दीन मसूद शाह (1242-46 ई.)Alauddin masud Shah in Hindi -अलाउद्दीन मसूद शाह बहराम शाह के भाई रुक्नुद्दीन फिरोजशाह का पुत्र व इल्तुतमिश का पौत्र था.
उसके समय में तुर्क सरदार सर्वोच्च बने रहे तथा मसूद शाह के पास केवल सुल्तान की उपाधि मात्र ही रह गई. ‘नाईब-ए-मुमलिकत‘ के पद पर तुर्क नेता मलिक कुतुबुद्दीन हसन को नियुक्त किया गया.
शासन का वास्तविक अधिकार वजीर मुहाजिबुद्दीन के हाथ में था. वह जाति से ताजिब (गैर तुक) था. अतः तुर्क सरदारों के विरोध के परिणामस्वरूप यह पद नजीमुद्दीन अबुबक्र को प्राप्त हुआ. चालीस सरदारों में से बलबन को अमीर-ए-हाजिब नियुक्त किया गया. धीरे-धीरे सारी शक्ति बलबन ने अपने हाथों में एकत्र कर ली.
1945 ई. में मंगोल एक बार फिर भारत में प्रकट हुए. बलबन ने मंगोल नेता मंगु के विरुद्ध सल्तनत की सेना का संचालन करके लाहौर, उच्च व मुल्तान पर अधिकार कर लिया.
उसने ‘चालीस‘ के सदस्यों का विश्वास भी प्राप्त कर लिया तथा नासिरुद्दीन महमूद व उसकी मां से मिल कर अलाउद्दीन मसूद शाह (Alauddin masud Shah) के विरुद्ध एक षड्यन्त्र रचा.
10 जून, 1246 ई. को चार वर्ष एक मास और एक दिन के शासन के पश्चात् अलाउद्दीन मसूद को कैद कर लिया गया तथा नासिरुद्दीन महमूद को सिंहासन पर बिठाया गया.
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