गांधीवादी युग का आरम्भ, 1919-47 (Beginning of the Gandhian Era)
मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार(Montague-Chelmsford Reforms in Hindi)-1918 में ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री एडविन मांटेग्यू तथा वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड ने संविधान सुधारों की एक योजना का प्रस्ताव रखा, जिसके आधार पर 1919 को ‘भारतीय शासन अधिनियम’ बनाया गया.
इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रांतीय विधायी परिषदों का आकार बढ़ा दिया गया तथा यह निश्चित किया गया कि उनके अधिकांश सदस्य चुनाव जीतकर आएंगे. दोहरी शासन प्रणाली के तहत प्रांतीय सरकारों को अधिक अधिकार दिए गए.
इस अधिनियम के तहत वित्त, कानून और व्यवस्था आदि कुछ विषय आरक्षित घोषित करके गवर्नर के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखे गए तथा शिक्षा, जन-स्वास्थ्य तथा स्थानीय स्वशासन जैसे कुछ विषयों को ‘हस्तांतरित‘ घोषित करके उन्हें विधायिकाओं के सामने उत्तरदायी मंत्रियों के नियंत्रण में दे दिया गया. केन्द्र में दो सदनों की व्यवस्था की गई.
निचले सदन अर्थात् लेजिस्लेटिव असेंबली में कुल 144 सदस्यों में से 41 सदस्य नामजद होते थे. ऊपरी सदन, अर्थात कौंसिल आफ स्टेट्स में 26 नामजद तथा 34 चुने हुए सदस्य होते थे.
गवर्नर-जनरल और उसकी एक्जीक्यूटिव कौंसिल पर विधानमंडल का कोई नियंत्रण न था. दूसरी ओर केन्द्र सरकार का प्रांतीय सरकारों पर अबाध नियंत्रण था तथा इनका वोट का अधिकार भी बहुत अधिक सीमित था.
अगस्त, 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रस्तावों पर विचार करने के लिए बंबई में एक विशेष सत्र बुलाया. इस सत्र ने इन प्रस्तावों को निराशाजनक और असंतोषजनक बतलाकर इनकी जगह प्रभावी स्वशासन की मांग रखी.
मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार(Montague-Chelmsford Reforms in Hindi)
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