Thursday, July 12, 2018

11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस (World population day)- जुलाई 1987 में हुई थी शुरुआत .

11 July World population day

विश्व जनसंख्या दिवस (World population day) के मौके पर यूनाइटेड नेशन के अंदाज से वर्ष 2050 तक विश्व की आबादी 9.80 अरब हो सकती है. यह आंकड़ा आज के मुकाबले 30% ज्यादा हो सकता है.

दुनिया में हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World population day) मनाया जाता रहा है. इसे मनाने का मकसद यह है कि, दुनिया में आबादी तो बड़ी रही है. और बढ़ने के साथ-साथ कई नए विषय उभर रहे हैं, इन विषयों को आंकड़ों में समझना यही इसका मुख्य मकसद है.
इस वक्त हमारी दुनिया की आबादी 7.80 अरब के आसपास हैं .इसमें से सवा सौ करोड़ या इससे भी ज्यादा आबादी भारत में है. यूनाइटेड नेशनकी बात मानो तो वर्ष 2050 तक हमारी दुनिया की जनसंख्या 9.80 अरब हो सकती है. जो आज के मुकाबले 30% बढ़ सकती है.

हारवेस्टिंग द बायोस्फियर(Harvesting the Biosphere) संकल्पना के अनुसार वैकलाव स्मिल कहते हैं कि 10000 वर्ष पहले हमारी धरती पर मानव या ह्यूमन स्पेसिस का वजन सिर्फ 1% था. बाकी सब जीव जंतुओं का जानवरों का वजन 99% था. आज 10000 साल बाद यह आंकड़ा बिल्कुल उल्टा हो गया है. आज जंगली जीव जंतुओं का वजन 1% है. हम इंसान और हमारे पालतू जानवरों का वजन 99% हो चुका है. हारवेस्टिंग द बायोस्फियर यह संकल्पना क्या है हम आगे कभी इस पर चर्चा करेंगे.

क्या आप जानते हैं कब हुई थी विश्व जनसंख्या दिवस(World population day) मनाने की शुरुआत?

5 बिलियन डे (5 billion days) नामक एक इवेंट वर्ष 1987 में मनाया था .इस वक्त हमारी दुनिया की आबादी 5 अरब हो चुकी थी.
लेकिन इसके बाद यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम ने इसे देखा और हर वर्ष मनाने का प्रयोजन किया. इसका मतलब यह हुआ कि हर वर्ष होने वाले आंकड़े यूनाइटेड नेशन प्रस्तुत करने लगा.

लेकिन आज की मानो तो राज लोकसंख्या बहुत ही तेज रफ्तार से बढ़ रही है. इसे रोकने के लिए लोगों के अंदर जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है विश्व आबादी तो बढ़ ही रही है लेकिन इसके साथ बहुत सारे नए विषय भी निर्माण हो रहे हैं जैसे कि अलग-अलग प्रांतों में होने वाले भेदभाव ,क्राइम, मानवाधिकार की समस्याएं और सबसे महत्वपूर्ण गरीबी और भुखमरी.

यूनाइटेड नेशन(United nation) के मुताबिक आबादी के साथ इन बताई गई समस्याएं से भी हमें सामना करना पड़ सकता है जैसे कि

2050 तक भोजन की मात्रा 70% से ज्यादा बढ़ जाएगी.
2050 तक 4 अरब जनसंख्या को पानी कि कमतरता का मुकाबला करना पड़ सकता है.
2050 तक बढ़ती जनसंख्या के चलते प्रति व्यक्ति जमीन में भी कमी हो जाएगी. इससे जंगल और कम हो सकते हैं.
2050 तक 71% से ज्यादा संसाधनों की आवश्यकता पढ़ सकती है.
2040 तक ऊर्जा की मांग 30% तक बढ़ सकती है.

 

चलो हम आप WWE के भी आंकड़े देख लेते हैं.
1970 से आज तक हमारी आबादी दुगनी हुई. और जंगली जीव जंतुओं की संख्या बहुत ही कम हो गई.
हम इंसानों की पैदावार से जंगली जानवर और पेड़ पौधे गायब या कम होने का दर 100% से भी ज्यादा हो गया है.
इंसानों के चलते क्लाइमेट चेंज मैं भी बदलाव आ गया है और यह बदलाव का दर 170 गुना ज्यादा है. हम इसे अलनीनो भी कह सकते हैं. अल नीनो के बारे में हम आगे कभी विस्तार से बताएंगे.

इंटरनेट वर्ल्ड स्टेट्स के आंकड़े अगर देखे तो दुनिया में वर्ष 2000 साल से आज तक 2018 तक 18 सालों में नाइजीरिया ऐसा देश है जहां पर आबादी बढ़ने की रफ्तार 58% से भी ज्यादा है.
वर्ष 2000 में यह लोकसंख्या12.39 करोड़ थी जो आज 2018 में 19.58 करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है इन आंकड़ों की देखे तो 58% की रफ्तार से वर्ष 2050 तक नाइजीरिया की आबादी 39.12 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है.

अब हम भारत में होने वाले आबादी के बारे में भी देख लें.
यूनाइटेड नेशन(United nation) के मुताबिक भारत के बारे में देखे तो वर्ष 2000 में हमारी जनसंख्या 100 करोड़ थी, जो अब 2018 तक बढ़कर 135 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है. पिछले 10 सालों में भारत की जनसंख्या 34.6 प्रतिशत के दर से बड़ी.
अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा 165 करोड तक बढ़ सकती है

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