Wednesday, August 8, 2018

महमूद गजनवी के उत्तराधिकारी और गजनवी साम्राज्य का पतन

महमूद गजनवी के उत्तराधिकारी-1030 ई. में महमूद की मृत्यु के पश्चात् उसके दो पुत्रों-मसूद गज़नी तथा मुहम्मद गज़नी में सिंहासन के लिए संघर्ष हुआ. मसूद ने मुहम्मद गज़नी को अन्धा करवा कर कैद में डाल दिया.

महमूद गजनवी के उत्तराधिकारी और गजनवी साम्राज्य का पतन

मसूद गज़नी ने अपने काल में कुछ सैनिक सफलताएं भी प्राप्त कीं, मगर 24 मार्च 1040 ई. को वह दण्डनकन नामक स्थान पर सैलजुक तुर्को से पराजित हुआ. मसूद गज़नी की सेना ने विद्रोह कर दिया तथा उसे गद्दी से उतार कर उसके अन्धे भाई मुहम्मद को सुल्तान बना दिया.

मसूद गज़नी को बन्दी बनाया गया तथा 1041 ई. में उसकी हत्या कर दी गई. मसूद के पुत्र मौदूद (Maudud) ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए कुछ सामन्तों के सहयोग से मुहम्मद गज़नी की हत्या करवा दी व स्वयं सुल्तान बना.

‘मौदूद’ (1041-1049 ई.) ने पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत की, लेकिन वह सैलजुक तुर्को को न दबा सका. गजनवी साम्राज्य अब गजनी और पंजाब तक की सीमित रह गया.

1049 से 1186 ई. तक गजनी वंश के बारह सुल्तानों ने शासन किया. इस वंश के अन्तिम सुल्तान खुसरो मलिक को गोर (गजनी एवं हिरात के मध्य एक पहाड़ी राज्य) के शासक मुईजुद्दीन-मुहम्मद-बिन-साम या शाहबुद्दीन मुहम्मद गोरी ने पराजित किया. लाहौर पर भी गोरी ने अधिकार कर लिया और 1192 ई. में खुसरो मलिक का वध करवा दिया गया.

 

गजनवी साम्राज्य का पतन के कारण

 

गजनी साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  • महमूद गज़नवी ने अपने विशाल साम्राज्य में केवल बाहरी व्यवस्था तथा सुरक्षा बनाए रखने का प्रयत्न किया साम्राज्य को संगठित एवं सुदृढ़ बनाने की ओर कोई ध्यान न दिया.
  • उत्तराधिकार के नियमों के न होने के कारण उसके पुत्रों एवं उत्तराधिकारियों में निरंतर संघर्ष चलता रहा. इससे साम्राज्य की प्रतिष्ठा एवं स्थिरता को बड़ा धक्का लगा.
  • महमूद द्वारा स्थापित यह विशाल साम्राज्य उसकी सैनिक योग्यता का परिणाम था. उसके पश्चात् उसके उत्तराधिकारी (मसूद, मुहम्मद, मौदूद तथा खुसरो मलिक आदि) अयोग्य थे.
  • महमूद की मृत्यु के पश्चात् एक अन्य शक्तिशाली साम्राज्य, सैलजुक का अभ्युदय हुआ. मसूद इनसे पराजित हुआ तथा अगला गज़नवी सुल्तान बहराम सैलजुक शासकों की कठपुतली बन गया. वस्तुतः इसी शक्ति के कारण गज़नवियों का प्रभाव गज़नी तथा पंजाब तक सीमित रह गया.
  • गोर नामक राज्य ने भी गज़नी के पतनशील राजवंश को बड़े राजसंकट में डाल दिया. 1155 ई. में गोर शासक अलाउद्दीन हुसैन ने गज़नी पर आक्रमण कर दिया. कालान्तर में मुहम्मद गोरी ने 1192 ई. में खुसरो मलिक का वध करवा इस वंश का नामों-निशान मिटा दिया.

 

महमूद गजनवी के उत्तराधिकारी और गजनवी साम्राज्य का पतन

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