सविनय-अवज्ञा आंदोलन की पुनरावृत्ति (Revival of the Civil Disobedience) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
- जब गांधीजी इंग्लैण्ड में थे ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को बुरी तरह दबाने की कोशिश की थी.
- इस बीच देश के अनेक भागों में किसानों में असंतोष की लहर फैल चुकी थी.
- विश्वव्यापी मंदी के कारण खेतिहर पैदावारों के दाम गिर गये थे और लगान तथा मालगुजारी का बोझ उनके लिए असहनीय हो चला था.
- दिसम्बर, 1930 में कांग्रेस ने “न लगान, न टैक्स” का अभियान चलाया.
- फलस्वरूप 26 दिसम्बर, 1930 को जवाहर लाल नेहरु को गिरफ्तार कर लिया गया.
- पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त में सरकार की मालगुजारी संबंधी नीति के खिलाफ खुदाई खिदमतगार किसान आंदोलन चला रहे थे.
- 24 दिसम्बर को इनके नेता खान अब्दुल गफ्फार खान भी गिरफ्तार कर लिए गए.
- किसान आंदोलन पूरे देश में तेजी के साथ फैल रहा था.
- अतः वापस लौटने पर गांधीजी के सामने नागरिक अवज्ञा आंदोलन को दोबारा आरंभ करने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा.
- सरकार के नए वायसराय लार्ड वेलिंगडन का मानना था कि कांग्रेस के साथ समझौता करके बहुत बड़ी गलती की गई थी.
- उनकी सरकार कांग्रेस को कुचलने के लिए आमादा और तैयार थी.
- सरकार ने कांग्रेस को अवैध घोषित कर गांधीजी एवं सरदार पटेल सहित लगभग एक लाख बीस हजार लोगों को जेल में भर दिया.
- राष्ट्रवादी साहित्य प्रतिबंधित कर दिया गया तथा राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों पर पुनः सेंसरशिप लागू कर दी गयी.
- वास्तव में सरकारी दमन काफी हद तक सफल रहा और इसे भारतीय नेताओं के बीच साम्प्रदायिक तथा दूसरे मुद्दों पर मतभेद पैदा करने में सफलता मिली.
- सविनय अवज्ञा आंदोलन बिखर गया.
- अत: गांधीजी ने मई, 1934 में इसे वापस ले लिया.
- इस समय भी अनेक नेताओं ने गांधीजी की कटु आलोचना की.
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