आजाद हिंद फौज (Indian National Army) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
- 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारम्भ होने पर ब्रिटिश सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस को कलकत्ता में उनके निवास स्थान पर नजरबन्द कर दिया.
- उचित अवसर पाकर 26 जनवरी, 1941 को चमत्कारी ढंग से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस घर से गायब हो गये और वे अफगानिस्तान होते हुए जर्मनी पहुंचे.
- जहां नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने हिटलर से मुलाकात की.
- जर्मनी में सुभाष चन्द्र बोस ने जर्मनी व इटली में बन्दी के रूप में रह रहे भारतीय सैनिकों को एकत्र कर् ‘मुक्ति सेना’ का गठन किया.
- इसका प्रधान कार्यालय ड्रेसडेन (जर्मनी) में था.
- जापान में रह रहे भारतीय क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने टोकियो में आयोजित एक सम्मेलन में ‘आजाद हिंद फौज’ एवं भारतीय स्वतंत्रता लीग की घोषणा की.
- इस सेना में जापान में बंदी 60,000 भारतीय सैनिकों को शामिल किया गया.
- 20 जून, 1943 को सुभाष चन्द्र बोस को जर्मनी से टोकियो बुलाकर इस सेना की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
- 21 अक्टूबर, 1943 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार का गठन किया.
- रंगून में सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सम्मुख अपने ऐतिहासिके भाषण में कहा कि “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा.”
- जापानी सेना के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज ने 1944 में भारत के कुछ पूर्वी प्रदेशों- कोहिमा, पलेल, तिद्दिभ तथा रामू आदि पर अधिकार कर लिया.
- परन्तु इसी बीच जापान के दो शहरों हिरोशिमा तथा नागासाकी में अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिरा देने से जापान को द्वितीय विश्व युद्ध में हार का सामना करना पड़ा.
- परिणामस्वरूप आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों को भी अंग्रेजी सेना के सामने आत्म समर्पण करना पड़ा.
- 22 अगस्त, 1945 में टोकियो जाते समय सुभाष चन्द्र बोस की हवाई दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो गई.
- यद्यपि अधिकांश राष्ट्रवादी नेताओं ने उनकी इस रणनीति को आलोचना की कि फांसीवादी ताकतों के साथ सहयोग करके स्वाधीनता प्राप्त की जाए, परन्तु फिर भी आजाद हिंद फौज की स्थापना करके उन्होंने देशभक्ति का एक प्रेरणादायक उदाहरण भारतीय जनता और भारतीय सेना के सामने रखा.
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