Thursday, February 21, 2019

प्रथम गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता (First Round Table Conference and the Gandhi-Irwin Pact)

प्रथम गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता (First Round Table Conference and the Gandhi-Irwin Pact) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

प्रथम गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता (First Round Table Conference and the Gandhi-Irwin Pact) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

  • ब्रिटिश सरकार ने भारत की संवैधानिक गुत्थी सुलझाने के लिए 12 नवंबर, 1930 को प्रधानमंत्री मैक्डोनेल्ड की अध्यक्षता में पहला गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जिसका उद्देश्य साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करना था.
  • कांग्रेस ने सम्मेलन का बहिष्कार किया जिस कारण सम्मेलन की कार्यवाहियां बेकार गई.
  • 19 जनवरी, 1931 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन बिना किसी निर्णय पर पहुंचे समाप्त हो गया.
  • अब सरकार ने कांग्रेस से किसी सहमति पर पहुंचने के लिए बातचीत शुरू की ताकि कांग्रेस इस सम्मेलन में भाग ले.
  • अंत में 5 मार्च, 1931 को वायसराय लार्ड इर्विन और गांधीजी के बीच एक समझौता हुआ जिसे ‘गांधी-इरविन समझौते’ के नाम से जाना जाता है.
  • वायसराय इरविन ने सरकार की ओर से निम्नलिखित बातों को स्वीकार किया –
  1. जिन राजनीतिक बंदियों पर हिंसा के आरोप हैं उन्हें छोड़कर शेष को रिहा कर दिया जायेगा.
  2. भारतीय समुद्र के किनारे नमक बना सकते हैं.
  3. भारतीय लोग शराब व विदेशी वस्त्रों की दुकान पर कानून की सीमा के भीतर धरना दे सकते हैं.
  4. सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने वालों को सरकार वापिस लेने में. उदारता दिखायेगी.
  • कांग्रेस की ओर से गांधीजी ने निम्नलिखित बातों को स्वीकार किया
  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगति कर दिया जायेगा.
  2. कांग्रेस निकट भविष्य में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी.
  3. कांग्रेस ब्रिटिश सामान का बहिष्कार नहीं करेगी.
  4. गांधीजी पुलिस द्वारा की गयी ज्यादतियों के बारे में जांच की मांग नहीं करेंगे.
  • अनेक कांग्रेसी नेता, खासकर युवक वामपंथी गांधी-इर्विन समझौते के विरोधी थे.
  • क्योंकि सरकार ने एक भी प्रमुख राष्ट्रवादी मांग नहीं मानी थी.
  • सरकार ने यह मांग तक नहीं मानी थी कि भगत सिंह तथा उनके दो साथियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाए.
  • परन्तु गांधीजी का विश्वास था कि लार्ड-इर्विन तथा ब्रिटिश अधिकारी भारतीय मांगों पर बातचीत के बारे में गम्भीर थे.
  • गांधीजी यह भी समझते थे कि कोई भी जन-आंदोलन निश्चित रूप से बहुत संक्षिप्त होगा और अधिक दिनों तक जारी नहीं रह सकेगा, क्योंकि जनता के बलिदान की क्षमता अनंत नहीं होती.
  • परिणामस्वरूप कानून विरोधी जन-संघर्ष के बाद एक निष्क्रिय चरण का आरंभ हुआ जिसमें आंदोलन को कानून की सीमाओं में ही रहकर चलाया जाना था.
  • कांग्रेस का कराची अधिवेशन 29 मार्च, 1931 को प्रारम्भ हुआ.
  • जिसमें गांधी-इर्विन समझौते का अनुमोदन किया गया.
  • कराची अधिवेशन यों भी अपने मौलिक सिद्धान्तों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था.

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Friday, February 15, 2019

सविनय अवज्ञा आंदोलन और साम्प्रदायिक निर्णय (Civil Disobedience Movement and Communal Award)

सविनय अवज्ञा आंदोलन और साम्प्रदायिक निर्णय (Civil Disobedience Movement and Communal Award) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

सविनय अवज्ञा आंदोलन और साम्प्रदायिक निर्णय (Civil Disobedience Movement and Communal Award) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

सविनय अवज्ञा आंदोलन और साम्प्रदायिक निर्णय (Civil Disobedience Movement and Communal Award)

ग्यारह सूत्रीय प्रस्ताव (Eleven points proposal)

  • महात्मा गांधीजी ने वायसराय के सामने एक प्रस्ताव रखा कि यदि वह उनकी ‘ग्यारह सूत्रीय’ (Eleven Points) मांग को स्वीकार कर ले तो वह अपना घोषित सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस ले लेंगे.
  • इन ग्यारह सूत्रीय मांगों में प्रमुख थीं-
  1. भू-राजस्व में कटौती,
  2. नमक-कर में कमी,
  3. मिलिट्री और सिविल खर्च में कटौती करना,
  4. राजनीतिक बंदियों की रिहाई,
  5. विदेशी कपड़ों पर शुल्क में बढ़ोत्तरी आदि.
  • महात्मा गांधीजी को किसानों, मजदूरों, व्यवसायी वर्ग आदि का पूरा-पूरा सहयोग प्राप्त था.
  • कुछ समय तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद फरवरी, 1930 में कार्यकारी समिति की साबरमति आश्रम में एक बैठक हुई और महात्मा गांधीजी से पूरी शक्ति के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की बात कही गई.
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधीजी के प्रसिद्ध डांडी मार्च के साथ आरंभ हुआ.
  • 24 दिन में 78 चुने हुए अनुयायियों के साथ जिनमें सरोजिनी नायडू भी सम्मिलित थीं, गांधीजी साबरमति आश्रम से 375 कि. मी. दूर गुजरात के समुद्र-तट पर स्थित डांडी गांव पहुंचे.
  • गांधीजी और उनके दल का जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ.
  • उनकी यात्रा, उनके भाषणों तथा जनता पर उनके प्रभाव की रिपोर्ट प्रतिदिन समाचार-पत्रों में छपती रहीं.
  • 5 अप्रैल, 1930 को गांधीजी डांडी पहुंच गये और 6 अप्रैल को प्रातः प्रार्थना के बाद समुद्र तट से मुट्ठी भर नमक उठाया और इस प्रकार ब्रिटिश सरकार के उस कानून को तोड़ दिया जिसके अनुसार सरकारी ठेके के अलावा लिया हुआ नमक रखना गुनाह था.
  • गांधीजी द्वारा प्रारम्भ किया गया सविनय अवज्ञा आंदोलन तुरंत ही आंधी की तरह पूरे देश में फैल गया.
  • जगह-जगह नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा गया.
  • जहां नमक बनाने की सुविधा नहीं थी वहां दूसरे कानूनों को तोड़ा गया.
  • महाराष्ट्र कर्नाटक और मध्य भारत में जंगल कानून तोड़े गए और पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर अदा करने से इन्कार कर दिया.
  • देश में हर जगह जनता हड़तालों, प्रदर्शनों और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार में भाग लेने लगी और कर अदा करने से इन्कार करने लगी.
  • लाखों भारतीयों ने सत्याग्रह किया. देश के अनेक भागों में किसानों ने जमीन की मालगुजारी और लगान देने से इन्कार कर दिया.
  • उनकी जमीनें जब्त कर ली गई.
  • इस आंदोलन की प्रमुख विशेषता स्त्रियों की बड़ी संख्या में भागीदारी थी.
  • ‘सीमांत गांधी’ के नाम से जाने जानेवाले खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में पठानों ने खुदाई खिदमतगार (ईश्वर के सेवक) नामक संगठन बनाया जो जनता के बीच “लाल कुर्ती वाले” कहलाते थे.
  • ये लोग अहिंसा और स्वाधीनता संघर्ष को समर्पित थे.
  • पेशावर की एक महत्वपर्ण घटना यह थी कि गढ़वाली सिपाहियों की दो प्लाटूनों ने अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया. इसके नेता चन्द्र सिंह गढ़वाली थे.
  • जिस कारण बाद में उनका कोर्ट मार्शल किया गया और लम्बी जेल सजाएं दी गई.
  • इससे स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रवाद की भावना भारतीय सेना तक फैलने लगी थी.
  • आंदोलन में मणिपुरी और नागालैंड की जनता की भागीदारी भी भरपूर रही.
  • आंदोलन की तेजी को देखते हुए सरकार द्वारा पूर्व की तरह निर्मम दमन, आंदोलनकारियों पर लाठी और गोलियों की बौछार आदि के द्वारा इसे कुचलने के प्रयास किए गए.
  • 5 मई, 1930 को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा साथ ही अनेकों सत्याग्रही गिरफ्तार किए गए.
  • कांग्रेस को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया.
  • प्रेस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए.
  • सरकार की पाशविक दमन की नीति के बावजूद सविनय अवज्ञा आंदोलन चलता रहा.

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कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन : पूर्ण स्वराज्य (Lahore Congress Session: Poorna Swaraj)

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन : पूर्ण स्वराज्य (Lahore Congress Session: Poorna Swaraj) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन : पूर्ण स्वराज्य (Lahore Congress Session: Poorna Swaraj) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन : पूर्ण स्वराज्य (Lahore Congress Session: Poorna Swaraj)

  • इस समय तक महात्मा गांधीजी पुनः सक्रिय राजनीति में वापस लौट आए थे तथा दिसम्बर, 1928 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में शामिल हुए.
  • कांग्रेस का पहला काम जुझारू वामपंथ से मेल-मिलाप करना था.
  • 1999 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरु को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.
  • लाहौर अधिवेशन में पारित एक प्रस्ताव में पूर्ण स्वराज्य को कांग्रेस का उद्देश्य घोषित किया गया.
  • इस अधिवेशन में एक नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी की गई.
  • 31 दिसम्बर, 1929 की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरु ने नये-नये स्वीकृत स्वाधीनता के तिरंगे झण्डे को रावी नदी के किनारे फहराया.
  • 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया.
  • उसके बाद यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा और इस अवसर पर लोग यह शपथ लेते थे कि अधीनता अब और आगे स्वीकार करना मानवता और ईश्वर के प्रति अपराध होगा.

 

नेहरु रिपोर्ट (Nehru Report) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

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